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    गैस्ट्रोएंटरोलॉजी

    चेन्नई में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी

    गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी शारीरिक दिक्कतों का बेहतरीन इलाज

    इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल और सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी का उद्देश्य बच्चों और बड़ों में लिवर, पाचन तंत्र और पैनक्रिएटिको-बिलीएरी सिस्टम में होने वाली दिक्कतों की खोज, रोकधाम और इलाज करना है। विभाग की ओर से रोगी का पूरा ख्याल रखते हुए इलाज किया जाता है। यहां पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीड, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का इलाज अत्याधुनिक इंडोस्कोपिक प्रक्रिया से किया जाता है।

    गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन कोशिश करते हैं कि वह बड़ी से बड़ी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जिकल दिक्कतों जैसे आंत, पेंक्रियाज और हेपेटोबिलरी ट्रेक्ट की परेशानियों में छोटी से छोटी सर्जरी ही करें। इसी वजह से उन्हें देश और विदेश में पहचान भी खूब मिल रही है। इसके साथ ही हमारे अंतरराष्ट्रीय पहचान रखने वाले ट्रांसप्लांट केयर प्रोग्राम में हेपेटोबिलरी प्रक्रिया के साथ वयस्कों और बच्चों के लिवर ट्रांसप्लांट भी किए जा रहे हैं।

    डायग्नोस्टिक सर्विसेज

    अपर जीआई इंडोस्कोपी

    इसमे जीआई ट्रेक्ट का हाल जानने के लिए बहुत लचीले इंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें जीआई ट्रेक्ट के पहले हिस्से यानि भोजन नलिका, पेट और ड्यूडेनम की जांच की जाती है।

    कैप्सूल इंडोस्कोपी

    ये टेस्ट गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट के बीच के हिस्से की परत को विसुआलिज और जांचने में मदद करता है। इसमें छोटी आंत के तीनों हिस्सों ड्यूडेनम, जेजूनम और इलिअम को परखा जाता है।

    इंटरस्कोपी

    इंटेरोस्कोपी में छोटी आंत को जांचा जाता है। इसमें एक पतला और लचीले ट्यूब (इंडोस्कोप) मुंह या नाक के रास्ते ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट तक जाता है।

    कोलोनोस्कोपी

    कोलोनोस्कोपी डायगनॉस्टिक प्रक्रिया है जिसमें कोलन और रेक्टम की जांच की जाती है। कोलोनोस्कोपी का इस्तेमाल इन्फ्लैम्ड टिशू, अल्सर और अनियमितताओं को जांचने में किया जाता है। इसका इस्तेमाल कोलोरेक्टल कैंसर के शुरुआती लक्षणों को पहचानने के लिए भी किया जाता है।

    इआरसीपी

    इआरसीपी, एक ऐसी प्रक्रिया है जो डॉक्टर को पित्ताशय, पैन्क्रियाज और पित्त वाहिनी की बीमारी जांचने में मदद करती है।

    मेनोमेट्री

    • इसोफैगल मेनोमेट्री

      इस टेस्ट के द्वारा पता लगाया जाता है कि भोजन नलिका सही काम कर रही है या नहीं।

    • एनोरेक्टल मेनोमेट्री

      कब्ज और मल से संबंधी रोगी को इस टेस्ट से जांचा जाता है। इस टेस्ट में एनल स्फिंगक्टर मसल्स के दबाव, रेक्टम के सेन्सेशन और नसों से जुड़े न्यूरल रिफ्लेक्सेस की जांच होती है जो नॉर्मल बाउल मूवमेंट के लिए जरूरी होता है।

    • एनल मेनोमेट्री

      ये टेस्ट स्फिंगक्टर मसल की मजबूती को परखता है। ये जांचता है कि ये मसल मल के बाहर आते समय रिलेक्स है या नहीं। ये टेस्ट मल से संबंधी दिक्कतों और कब्ज से जुड़ी परेशानियों में काफी मददगार होता है।

    • एंडोस्कोपिक अल्ट्रासोनोग्राफी

      एंडोस्कोपिक अल्ट्रासोनोग्राफी(ई यू एस ) एंडोस्कोपी और अल्ट्रासोनोग्राफी का कॉम्बिनेशन है। इस टेस्ट में छोटी अल्ट्रासाउंड मशीन को एंडोस्कोप के टिप पर लगा कर इस्तेमाल किया जाता है।

    इलाज

    सर्जरी की जानकारी

    • भोजन नलिका, पेट, आंत, लीवर और पैन्क्रियाज की कम घातक और हानिकारक परेशानियों की सर्जरी की जाती है।
    • कोलेसिस्टेक्टॉमी, अपेनडेक्टॉमी, स्पलेनेक्टॉमी, इंटेस्टिनल रिसेक्शन्स के साथ इन अंगों में कम इनवेसिव तरीको से बीमारियों की जांच की जाती है
    • हाइटस हर्निया आमतौर पर होने वाली सर्जरी है।
    • पित्त वाहिनी के सिकुड़ने पर की जाने वाली कॉम्प्लेक्स बिलियरी रीकंस्ट्रक्शन सर्जरी भी बेहतरीन परिणामों के साथ की जाती है।
    • इस सेंटर की एक खासियत कम इनवेसिव तरीको से की जाने वाली सर्जरी डिवीजन भी है। पूरे देश में सबसे ज्यादा संख्या में लैप्रोस्कोपिक प्रोसिजर यहीं किए जाते हैं। ये टीम कठिन प्रोसिजर भी करती है जैसे भोजन नलिका की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, गैस्ट्रिक रिसेक्शन, कोलोरेक्टल सर्जरी, पैनक्रिएटिक सर्जरी, छोटी आंत की सर्जरी के साथ स्फिंगक्टर डिसऑर्डर के लिए स्ट्रेटटा और सेक्का भी किए जाते हैं।

    हेपटोबिलियरी प्रोसिजर

    अब घातक हेपटोबिलियरी बीमारियों को एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और सर्जिकल तरीकों से ठीक करना आसान हो गया है। हेपेटोबिलरी सर्जरी से जुड़े अपोलो हॉस्पिटल के सेंटर में लीवर, पेंक्रियाज और पित्त वाहिनी की बीमारियों का पूरा इलाज किया जाता है।

    इनमें से कुछ ये हैं:

    • लीवर और कैंसर की रेडियोफ्रेक्वेंसी एब्लेशन और कीमोएम्बोलिजेशन
    • पैनक्रिएटिक ट्रांसप्लांटेशन
    • पैनक्रिएटिक सर्जरी
    • पित्त वाहिनी सर्जरी
    • पित्ताशय सर्जरी
    • पोर्टल हाइपरटेंशन सर्जरी और लिवर सिरोसिस मैनेजमेंट
    • मिनिमल एक्सेस सर्जरी

    लीवर ट्रांसप्लांट्स

    हमारे लीवर ट्रांसप्लांट केयर प्रोग्राम के तहत लीवर की बीमारियों से परेशान लोगों को स्वास्थ्यपरक सुविधाएं दी जा रही हैं। अपोलो हॉस्पिटल के लीवर डिसीज एंड ट्रांसप्लांट केन्द्रों में सभी एडवांस तकनीकों के माध्यम से लैप्रोस्कोपिक आर्गन लेजर और टिशू लिंक जैसी लीवर सर्जरी की जा रही हैं। इन तकनीकों में सीयूएस और लैप्रोस्कोपिक वेस्क्यूलर स्टेपलिंग भी शामिल हैं। ब्लडलेस लीवर सर्जरी भी यहां अच्छे परिणामों के साथ की जाती हैं।

    सुविधाएं

    • लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी बहुत बारीकी और किटाणुरहित तरीके से की जाती हैं। इसी वजह से ये सर्जरी ऑपरेशन थिएटर में लेमिनार फ्लो के साथ की जाती हैं।
    • केन्द्रों में सभी एडवांस तकनीकों के माध्यम से लैप्रोस्कोपिक आर्गन बीम लेजर और टिशू लिंक जैसी लीवर सर्जरी की जा रही हैं। इन तकनीकों के इस्तेमाल के साथ लीवर रिसेक्शन के प्रोसिजर जैसे सीयूएस और लैप्रोस्कोपिक वेस्क्यूलर स्टेपलिंग भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। यहां पर ब्लडलेस लीवर सर्जरी भी अच्छे परिणामों के साथ की जाती हैं।
    • ब्लड की आपातकालीन जरूरत के लिए 24 x 7 ब्लड बैंक की सुविधा भी है।
    • लीवर ट्रांसप्लांट के रोगियों के साथ लीवर देने वालों की भी जांच करने के लिए यहां की लैब में खास पैथोलॉजी और इम्यूनोलॉजी सुविधाएं भी दी गई हैं।
    • हेपटोबिलियरी क्रिटिकल केयर यूनिट के लिए हेपटोबिलियरी फिजीशियन, एनेस्थीसिया स्टाफ और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की सुविधा है।
    • क्रिटिकल केयर यूनिट्स और मल्टीऑर्गन ट्रांसप्लांट यूनिट्स (एम ओ टी यू ) की ओर से दानकर्ता और रोगी के स्वास्थ्य की देखभाल भी की जाती है।

    पैनक्रिएटिक ट्रांसप्लांट्स

    खासतौर पर मधुमेह रोगियों को पैनक्रियाज से जुड़ी दिक्कत होती हैं, ऐसे रोगियों के पैनक्रियाज ट्रांसप्लांट भी सफलतापूर्वक किया जा रहा है। क्योंकि पैनक्रियाज एक ऐसा अंग है, जो पाचन से जुड़े कई काम करता है, इसलिए रोगी के अपने पैनक्रियाज को वहीं रहने दिया जाता है और डोनर से मिले पैनक्रियाज को बॉडी में कहीं और इंप्लांट कर दिया जाता है। पैनक्रियाटिक ट्रांसप्लांटेशन अपोलो हॉस्पिटल, चेन्नई में सामान्य तौर पार किए ही जाते हैं।

     

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