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लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटॉमी

पित्ताशय क्या है?  

  • पित्ताशय नाशपाती के आकार का एक अंग है जो यकृत के दाहिने भाग के नीचे स्थित होता है ।
  • पित्ताशय का मुख्य उद्देश्य यकृत द्वारा उत्पादित पाचक रस (जिसे पित्त कहा जाता है) को इकठ्ठा और संकेद्रित करना है । भोजन के पश्चात पित्ताशय से स्रावित पित्त पाचन में सहायक होता है । पित्त पतली नलीदार वाहिकाओं (पित्त नलिकाओं) से होकर छोटी आंत में पहुँचता है
  • पित्ताशय की थैली का निष्कासन पाचन की असमर्थता से किसी भी प्रकार संबद्ध नहीं है ।

पित्ताशय की पथरी

  • पित्ताशय की पथरी कोलेस्ट्राल एवं पित्त में पाए जाने वाले अन्य पदार्थों से मिलकर बनती है । वह रेत के एक दाने से भी छोटी या एक गोल्फ बॉल जितनी बड़ी भी हो सकती है ।
  • वे लोग जो अधिक मोटे हैं अथवा तेजी से वजन कम करने का प्रयास कर रहे हैं, उनमें पित्ताशय की पथरी होने की अधिक सम्भावना होती है ।
  • पित्ताशय में पथरी होने से एक्यूट कोलेसिस्टाइटिस की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है जिसका अर्थ है पित्ताशय में सूजन । इसकी वजह से, पेट से उठ कर पीठ तक जाता हुआ दर्द, उल्टी, अपच और कभी-कभी बुखार आने के लक्षण प्रकट हो सकते हैं ।
  • यह स्पष्ट नहीं है कि क्यों कुछ लोगों में पित्ताशय की पथरी बनती है ।
  • यदि पित्ताशय की पथरी सामान्य पित्त नलिका को अवरुद्ध करती है, तो पीलिया (त्वचा का पीलापन) हो सकता है । यदि इसका सही समय पर पता नहीं चलता और इलाज नहीं किया जाता है, तब यह पित्तवाहिनीशोथ की स्थिति में परिवर्तित हो सकता है जिसमें कँपकपी के साथ तेज बुखार आ सकता है ।

पित्ताशय के रोग का निदान और उपचार कैसे होता है?

पित्ताशय में पथरी की उपस्थिति जानने के लिए सबसे अधिक उपयोग में आने वाली परीक्षण विधि है अल्ट्रासाउंड, हालांकि एमआरआई या इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (ईयूएस) जैसे जटिल परीक्षण भी किये जा सकते हैं । यह सुनिश्चित करने हेतु कि क्या आपका यकृत सही ढंग से कार्य कर रहा है, आपको कुछ रक्त संबंधी परीक्षण भी कराने होंगे ।

  • पित्ताशय की पथरी अपने आप नहीं जाती है । कुछ को दवाइयों की सहायता से अथवा खान-पान के परहेज जैसे वसा सेवन को कम कर के, अस्थाई रूप से उपचारित किया जाता है । इस उपचार की सफलता दर कम, एवं उसका प्रभाव अल्पकालिक है । जबतक पित्ताशय को निकाल नहीं दिया जाता लक्षण दिखाई देते ही रहेंगे ।     
  • पित्ताशय को शल्यक्रिया द्वारा निकाल देना दीर्घ काल से पित्ताशय रोग का विश्वस्त और सुरक्षित इलाज रहा है ।

कोलेसिस्टेकटॉमी की आवश्यकता किसे होती है ?

जिन रोगियों के पित्ताशय में पथरियाँ हैं और जो उपरोक्त वर्णित लक्षणों को भी दर्शाते हैं , उन्हें गंभीर जटिलताएं पैदा होने के पहले ही, कोलेसिस्टेकटॉमी करवा लेनी चाहिए । कभी कभी पित्ताशय में पथरी न होने पर भी रोगियों में इसके महत्वपूर्ण लक्षणों के पाए जाने पर कोलेसिस्टेकटॉमी की आवश्यकता होती है । कभी-कभार, रोगियों में वृहत् पित्ताशय पॉलिप वर्धन होने पर कोलेसिस्टेकटॉमी आवश्यक हो जाती है क्योंकि ऐसी स्थिति में पित्ताशय कैंसर होने की सम्भावना रहती है

पित्ताशय को शरीर से बाहर कैसे निकाला जाता है ?

पित्ताशय को निकालने का सबसे आम तरीका दूरबीन शल्य पद्धति है । एक कैमरा, जिसे लेप्रोस्कोप के रूप में जाना जाता है, जो एक तीव्र प्रकाश के स्रोत से जुड़ा हुआ होता है, उसे आपकी नाभि में किए गए एक छोटे से चीरे द्वारा शरीर के अंदर डाला जाता है। शल्य उपकरणों को शरीर के अंदर डालने के लिए तीन छोटे छेद बनाए जाते हैं । पहला उदर के ऊपरी भाग में और दो अन्य छेद आपकी पसलियों के नीचे दाहिने हाथ की तरफ शल्यक्रिया किए जाने हेतु, आपके पेट को कार्बन डाइ-ऑक्साइड से भरा जाता है। एक बार जब पित्ताशय यकृत से विच्छेदित कर दिया जाता है एवं पित्त नलिकाओं और रक्त वाहिकाओं से उसका संयोजन काटा जा चुका होता है, तो नाभि पर किए गए चीरे द्वारा उसको बाहर निकाल लिया जाता है। लगभग 3-5% मामलों में पित्ताशय को दूरबीन शल्य पद्धति  द्वारा सुरक्षित रूप से बाहर निकाला नहीं जा पाता है और तब एक पारंपरिक तकनीक लैपरोटोमी की आवश्यकता होती है । इसमें आपके ऊपरी उदर  के दाहिने पंजर के समानांतर में 15 सेमी के चीरे की आवश्यकता होती है। यह अपेक्षाकृत एक बड़ी प्रक्रिया है और इसके परिणामस्वरूप आपको लंबे समय तक अस्पताल में रहना होगा। 

पारंपरिक शल्य प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने के विकल्प का निर्णय आपके डॉक्टर द्वारा वास्तविक ऑपरेशन से पहले या उसके दौरान लिया जाता है। यदि सर्जन को लगता है कि दूरबीन शल्य प्रक्रिया को एक पारंपरिक शल्य प्रक्रिया में बदलना सुरक्षित है, तो इसे एक जटिलता के रूप में नहीं, बल्कि उचित शल्य निर्णय के रूप में देखा जाना चाहिए। पारंपरिक शल्य प्रक्रिया में बदलने का निर्णय निश्चित रूप से रोगी की सुरक्षा को केन्द्र में रख कर लिया जाता है ।  

पित्ताशय मुख्य रूप से एक संग्राहक अंग है जो नियमित अंतराल पर सिकुड़ता है और पित्त को छोटी आंत में ढकेलने में मदद करता है। यहां तक कि पित्ताशय की अनुपस्थिति में भी, यकृत निरंतर ही पित्त का उत्पादन करता रहेगा और उसको लगातार छोटी आँत में प्रवाहित करता रहेगा । स्वास्थ्य प्रकार्य के लिए आवश्यक पित्त की समूची मात्रा को पित्त नलिकाएं संग्रहित करती हैं ।

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटॉमी के बाद मैं क्या उम्मीद कर सकता हूं?

मैं और कितने समय तक अस्पताल में रहूंगा

ज्यादातर मरीज शल्यक्रिया से एक रात पहले ही भर्ती होते हैं और ऑपरेशन के एक दिन बाद (अन्तःरोगी शल्यक्रिया) छुट्टी पा जाते हैं। हालांकि, कुछ मरीज अपनी शल्यक्रिया वाले दिन की सुबह ही अस्पताल आते हैं, और उसी दिन शाम तक (एक-दिवसीय-देखभाल शल्यक्रिया) छुट्टी पा जाते हैं। आपका शल्य-चिकित्सक यह तय करेगा कि आपकी शल्यक्रिया एक अन्तः-रोगी या एक-दिवसीय-देखभाल रोगी के रूप में की जाएगी, जो आपकी उम्र, स्वास्थ्य, आपके लक्षणों और अन्य औषधीय व्याधियों के होने पर निर्भर करता है।

ऑपरेशन से पहले क्या होता है?

  • ऑपरेशन के बाद की अपनी देखभाल और स्वास्थ्य लाभ के लिए योजना बनाएं, खासकर यदि आपको सामान्य एनिस्थिसिया दिया जाना है। कार्यस्थल पर आराम हेतु समय मांगे। अपने दैनिक कर्तव्यों में आपकी सहायता करने के लिए अन्य व्यक्तियों को खोजने का प्रयास करें।
  • यदि आप किसी चिकित्सीय स्थिति के लिए रोजाना एस्पिरिन ले रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको अपनी शल्यक्रिया से पहले इसे बंद करने की आवश्यकता है।
  • यह सुनिश्चित करें कि प्रयोग की जा रही दवाओं की जानकारी अपने डॉक्टर से साझा करें ।
  • आपसे रक्त-जाँच, ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे जैसे पूर्व- निश्चेतक परीक्षणों से गुजरने के लिए कहा जा सकता है और निश्चेतक दिए जाने के लिए आपकी स्वास्थ्य के आकलन हेतु निश्चेतक-दल द्वारा मूल्यांकन भी किया जा सकता है।
  • अपने डॉक्टर द्वारा शल्यक्रिया से संबद्ध दिए गये सभी पूर्व-निर्देशों का पालन करें। आमतौर पर यह सुझाव दिया जा सकता है कि आप शल्यक्रिया से एक रात पहले हल्का भोजन लें। जिस समय के उपरांत डॉक्टर ने आपको तरल पदार्थ ग्रहण करने को मना किया हो उसके बाद कॉफी, चाय, पानी या अन्य भी कोई तरल पदार्थ न पिएं ।
  • आपको शल्यक्रिया से एक रात पहले रेचक या शल्यक्रिया किए जाने वाले दिन की सुबह एनीमा दिया जा सकता है। 

ऑपरेशन के बाद क्या होता है?

ऑपरेशन पूरा होने के बाद आपको ऑपरेशन-कक्ष में ही होश में आने दिया जाता है, और उसके बाद आपको रोग निवृत्ति क्षेत्र में ले जाया जाएगा। आपकी बाँह की रक्त-वाहिनी में एक अन्तःशिरा नलिका प्रविष्ट होगी जो किसी द्रव्य से जुड़ी हुई होगी और यह आपको कर्मचारियों द्वारा दवा दिये जाने में सक्षम बनाएगी। आपके मुँह पर एक ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ होगा जो अनुपूरक ऑक्सीजन का संचालन करेगा। रक्त-चाप का एक कलाई-बंद आपकी बाहों में से एक पर होगा, और आपके रक्तचाप को मापने के लिए वह सविराम फुलाया जाएगा। कभी-कभार एक निकास नली को आपके उदर में पड़े रहने दिया जाएगा जो ऑपरेशन के जटिल होने की अवस्था में उदर में एकत्रित द्रव्य को बाहर निकालेगा। आपके ऑपरेशन किये जाने के कुछ घंटों बाद ही आप बिस्तर से उठने में सक्षम होंगे, ऐसा करने में पहली बार नर्स ही आपकी सहायता करेंगी।  

ऑपरेशन के बाद मुझे कितना दर्द होगा ?

ज्यादातर लोगों को केवल हल्के या मध्यम दर्द का अनुभव होता है, जो मौखिक एनल्जेसिया (दर्द निवारक) लेने से आसानी से नियंत्रित हो जाता है। आप अपने घावों से कुछ दर्द का अनुभव कर सकते हैं, खासकर हिलने-डुलने पर। यदि आपको ऐसा महसूस होता है, तो दर्द कम करने के लिए नर्स आपको दवा देगी। आपको कंधों में कुछ दर्द महसूस हो सकता है, जो कि सर्जरी के दौरान आपके उदर में डाली गई गैस का विस्थापित दर्द होता है। यह गैस धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी लेकिन पीड़ा कई दिनों तक बनी रह सकती है। छुट्टी दिये जाते समय आपको दर्द-निवारक दवाएं दी जाएंगी और ऑपरेशन-पश्चात कब और क्या लेना है इसके निर्देश भी दिए जायेंगे। लगभग 3 से 5 दिनों के बाद अधिकांश पीड़ा समाप्त हो जानी चाहिए।

सामान्य गतिविधियों पर कब लौट सकता हूँ?

जब आप सहज महसूस करें तब आप सामान्य शारीरिक और यौन क्रियाएं कर सकते हैं। शल्यक्रिया के पश्चात थकान का अनुभव करना सामान्य है, इसलिए दिन में दो या तीन बार आराम करें, और रात में अच्छी नींद लेने का प्रयास करें। एक या दो सप्ताह के पश्चात ही, आपको अपनी अधिकांश सामान्य दैनिक गतिविधियों के पुनःआरम्भ में सक्षम हो जाना चाहिए। भारी वजन उठाने और कठिन व्यायाम करने से आपको कम से कम दो सप्ताह तक के लिए बचना चाहिए।

मैं क्या खा सकता हूँ?

पित्ताशय निकाले जाने के बाद आपके लिए किसी भी आहार का सेवन प्रतिबंधित नहीं हैं और भूख लगने पर आप सामान्य आहार को फिर से ग्रहण कर सकते हैं। सामान्य भूख लगने की स्थिति में लौटने हेतु आपको कुछ और दिन लग सकते हैं। जब आपको भूख लगे तब आप समय के छोटे -छोटे अंतराल पर हल्का भोजन लेना शुरू करें और उसकी मात्रा अपने अनुसार ही बढ़ाएं।

मेरी आंतो की क्रियाएं कब सामान्य हो सकती हैं ?

आंतो की क्रियाओं के सामान्य होने में तीन या चार दिन लग सकते हैं।

क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

यद्यपि सभी प्रकार की शल्यक्रिया से जोखिम जुड़े ही होते हैं, लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटॉमी के अधिकांश रोगियों में कुछ या न के समान परेशानी होती है और जल्द ही वे सामान्य गतिविधियों को पुनः आरंभ कर सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी प्रकार की शल्यक्रिया से पहले – चाहे वह दूरबीन विधि से हो या पारंपरिक-विधि, आपको अपने सर्जन से इसकी प्रक्रिया और ऑपरेशन-पश्चात की स्थिति साथ ही साथ उससे संबद्ध परेशानियों और खतरों के बारे में पूछना चाहिए।

लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेकटॉमी में चिंताजनक स्थितियां अक्सर उत्पन्न नहीं होती हैं, लेकिन ऐसा कभी होने पर इसमें रक्तस्राव, संक्रमण, निमोनिया, रक्त के थक्के या दिल की समस्याएं शामिल रहती हैं। समन्वयक पित्त नली या छोटी आंत जैसी जुड़ी हुई संरचनाओं में अनजाने में चोट लग सकती है और इसे ठीक करने के लिए एक अन्य शल्य-प्रक्रिया की आवश्यकता हो सकती है।

कई चिकित्सीय अध्ययनों से पता चलता है कि एक उचित रूप से प्रशिक्षित सर्जन द्वारा दूरबीन विधि से पित्ताशय की शल्यक्रिया किये जाने में जटिलता दर वास्तव में बहुत कम होती है ।

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