Verified By Apollo General Physician May 13, 2021
5434अब जब भारत कोविड-19 से जूझ रहा है तब कोविड-19 से रिकवरी के बाद सेप्सिस एक बड़ी परेशानी बन कर सामने आईं है।
डायबिटीज जिसके करीब 77 मिलियन वयस्क मरीज भी देश में हैं, सबसे बड़ी महामारी कही जा सकती है।
बीएमसी एमइडी 2019 में पब्लिश भारत के हर राज्य में 15 से 49 साल के लोगों के बीच हुई क्रॉस-सेक्शनल स्टडी में खुलासा हुआ है कि 47 प्रतिशत भारतीयों को अपने डायबिटीज का स्तर पता ही नहीं है। इसके साथ ही सिर्फ एक चौथाई डायबिटीज मरीजों ने ही इलाज के बाद ग्लाइसेमिक संतुलित किया है। कई सारे शोधों में डायबिटीज और कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के बीच कनेक्शन को माना गया है।
म्युकोरमाईकोसिस को ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित और कोविड-19 से रिकवर कर रहे मरीज को अक्सर इसका सामना करना पड़ता है।
म्युकोरमाईकोसिस एक संक्रमण है जो म्युकर मोल्ड के संपर्क में आने की वजह से होता है। म्युकर मोल्ड को म्युकोरमाईसीट्स (mucormycetes) भी कहा जाता है। ये आमतौर पर खाद, पौधों, मिट्टी, खराब फल और सब्जियों में पाया जाता है। ये हवा और धूल में पाया जाता है और सम्भवता हर स्वस्थ व्यक्ति की नाक और बलगम में भी पाया जाता है।
म्युकोरमाईकोसिस घातक भी हो सकता है। ये साइनस, फेफड़े और दिमाग पर असर डालता है। डायबिटीज के मरीजों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों जैसे कैंसर और एड्स के मरीजों को इससे जान का खतरा भी होता है। ये नाक से शुरू होता है और आंखों के बाद दिमाग की ओर बढ़ता है।
फंगल संक्रमण से ग्रसित मरीजों में ये लक्षण नजर आते हैं-
साइनसाइटिस, नाक के आसपास काले रंग में बदलाव, चेहरे पर एक तरफ दर्द, संवेदनशून्यता, दर्द के साथ धुंधला या डबल विजन दिखना, थ्रोम्बोसिस, दांत में दर्द, सीने में दर्द, त्वचा में घाव और सांस में दिक्कत होना जैसे लक्षणों के साथ डायबिटीज और इम्यूनोडिप्रेस्ड दवाएं लेने वाले कोविड-19 मरीज को म्युकोरमाईकोसिस होने की संभावना रहती है।
कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर में म्युकोरमाईकोसिस सबसे जरूरी चुनौती के तौर पर उभर कर आया है।
ये एक गंभीर फंगल संक्रमण है जो आमतौर पर मजबूत इम्यून सिस्टम वालों के लिए खतरा नहीं बनता है। हालांकि एक्सपर्ट्स ने ये ध्यान दिया है कि कोविड-19 संक्रमण से उबरने के लिए अस्पताल में भर्ती लोगों में म्युकोरमाईकोसिस का खतरा लगातार बढ़ रहा है।
म्युकोरमाईकोसिस को नसों से दी जाने वाली एंटीफंगल दवाओं से ठीक किया जाता है। इन दवाओं में आमतौर पर अम्फोटेरिसिन बी, पोसाकोनाजोल या इसावूकोनाजोल (amphotericin B, posaconazole, or isavuconazole) शामिल होती हैं। ये दवाएं फंगस नियंत्रित हो जाने तक दी जाती हैं। ओरल एंटीफंगल दवाएं भी दी जाती हैं।
द ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (डीसीजीआई) ने भी एंटीफंगल दवा लिपोसोमल एमफोटेरिसिन को म्युकोरमाईकोसिस मरीजों के लिए सही माना है।
हालांकि ज्यादातर बार म्युकोरमाईकोसिस में सर्जरी करके संक्रमित टिशू को हटा दिया जाता है जो फंगस को बढ़ाते हैं। म्युकोरमाईकोसिस इस्कीमिक नेक्रोसिस की वजह भी बनता है। इसमें मृत टिशू खून की नसों में रुकावट बनते हैं। यह जरूरी हो जाता है कि सभी मृत टिशू को हटा दिया जाए। ऐसा करने के लिए कई प्रक्रियाओं की जरूरत पड़ती है।
1। हर बार नाक बंद होने को बैक्टीरियल साइनसाइटिस नहीं मान लेना चाहिए। खास तौर पर कोविड-19 मरीज के संदर्भ में जो इम्युनोमोड्यूलेटर और / या इम्युनोसुप्रेशन दवाएं लेते हों।
2। कभी भी खतरे के लक्षणों को नजर-अंदाज ना करें।
3। फंगल एनेटोलॉजी का पता लगाने के लिए (केओएच स्टेनिंग और माइक्रोस्कोपी, कल्चर, एमएएलडीआई-टीओएफ) सही जांच की तलाश करने में संकोच न करें।
4। म्युकोरमाईकोसिस का इलाज शुरू करने के लिए जरूरी समय खराब न करें।
इस बीमारी से बचने के लिए कोविड से ठीक होने के बाद अस्पताल से लौटकर सबसे पहले ब्लड शुगर लेवल देखा जाना चाहिए। इसके साथ डायबिटीज मरीज के मामले में अपने विवेक से सही मात्रा में, सही समय में और सही अवधि में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ स्टेराइल पानी का इस्तेमाल ह्यूमिडिफायर्स में करना चाइये । एंटी-फंगल और एंटी-बायोटिक दवाओं का इस्तेमाल भी सही तरीके से होना चाहिए।
1।नियंत्रित हाइपरग्लेसेमिया
2। कोविड-19 से ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद और डायबिटीज के मरीज होने पर ब्लड शुगर लेवल जाँचते रहना चाहिए।
3। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान साफ स्टेराइल पानी का इस्तेमाल ह्यूमिडिफायर्स में किया जाना चाहिए।
4। स्टेरॉयड का इस्तेमाल सावधानी से करें-सही समय, सही मात्रा और सही अवधि का ध्यान रखें।
5। चिकित्सीय सुझाव पर एंटीफंगल/एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सावधानी से करें।
इस बीमारी को इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाएं बंद करके, डायबिटीज को नियंत्रित करके, स्टेरॉयड को कम करके और एक्सटेंसिव सर्जिकल डीब्राइडमेंट के साथ (सभी नेक्रोटिक मटेरियल हटाने के लिए) संतुलित किया जा सकता है।
इन सबके अलावा फंगल संक्रमण को रोकने का एक असरदार तरीका है कि इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जाए। इसी तरह से अपनी दवाएं समय पर लें और विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर भोजन ही खाएं।
हम सब टीका लगवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं लेकिन कोविड-19 से जुड़ी कई गंभीर स्थितियां हमारे सामने हैं। म्युकोरमाईकोसिस (ब्लैक फंगस) एक ऐसा जानलेवा संक्रमण है जिसका सामना पूरे भारत में कोविड-19 के मरीज कर रहे हैं।
डायबिटीज के मरीज, जो लोग स्टेरॉयड और ह्यूमिडिफाइड ऑक्सीजन पर लम्बे समय से हैं और वो कोविड के मरीज जिनको पहले से बीमारियां हैं, वो इस संक्रमण से अतिसंवेदनशील होते हैं। इसमें कैंसर के मरीज और लम्बे समय से इम्यून सिस्टम को कमजोर करने वाली दवाएं खाने वाले लोग भी शामिल हैं।
ये जरूरी है कि इस महामारी के दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों और लक्षणों को समझा जाए। ये समय रहते जरूरी इलाज पाने में मदद करेगा।
The content is verified and reviewd by experienced practicing Pulmonologist to ensure that the information provided is current, accurate and above all, patient-focused
October 25, 2024