Verified By Apollo Pulmonologist April 12, 2021
207095इंडिया में डी.जी.सी.आई ने कोरोना वायरस (कोविड-19) को रोकने के लिए दो वैक्सीन्स को मंजूरी दी है- कोवैक्सीन और कोविशील्ड।
1.कोवैक्सीनः कोवैक्सीन इंडिया में कोरोना वायरस (कोविड-19) की पहली वैक्सीन है जिसे ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के साथ पार्टनरशिप में बनाया गया है।
2.कोविशील्डः कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एस्ट्रजेनेका के साथ मिलकर डेवलप किया है और भारत में रहने वाले लोगों के लिए इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाया जा रहा है।
अभी, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 40 साल से अधिक उम्र के लोग, और हाई रिस्क पेशेंट ( 40 साल से कम उम्र के लोग जो हाई रिस्क कोमोरबिड स्थिति में हैं) को जरूरी मानते हुए कोरोना की दोनों वैक्सीन्स दी जा रही है।
कोरोना के वैक्सीन को लगवाने का ख्याल आज के टाइम में सबसे पहले आता है! इसलिए इसके प्रोसेस को लेकर हमारे मन में सवाल खड़ा होना भी कोई बड़ी बात नहीं है। और भविष्य में खासतौर से कोरोना वायरस(कोविड-19) की वैक्सीन लगने से पहले, बाद में और लगने के समय क्या उम्मीद की जाए, यहां आपको यह जानने की जरूरत है कि आपको इस प्रोसेस में आगे बढ़ने के लिए किस तरह तैयार रहना होगा।
60 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए 1 मार्च 2021 को सुबह 9 बजे से रजिस्ट्रेशन ओपन हो चुके हैं, और को-र्मोबिडिटी के साथ 40 साल से अधिक उम्र के लोग, इस लिंक की मदद से पोर्टल पर एक्सेस कर सकते हैं।
सीनियर सिटिज़न्स और 40 साल से अधिक उम्र के लोग के लिए कोविड वैक्सीन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस :
1.को-विन, आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करें या लॉग इन करें
2. अपना मोबाइल नम्बर एंटर करें।
3. अपना अकाउंट बनाने के लिए आपको एक ओटीपी मिलेगा।
4.अपना नाम, उम्र, जेंडर फिल करें और फोटो आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट (आधार कार्ड, इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (ईपीआईसी), पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर स्मार्ट कार्ड, पेंशन डॉक्यूमेंट फोटो के साथ) अपलोड करें।
5. डेट और कोविड वैक्सीनेशन सेंटर चुनें।
6.आपको आपके रजिस्टर्ड नम्बर पर एक एक्नॉलेजमेंट (रजिस्ट्रेशन स्ल्पि या टोकन) भेजा जाएगा- इसे डाउनलोड और प्रिंट करने की सुविधा भी दी गई है।
7. एक मोबाइल नम्बर पर कम से कम चार अपॉइंटमेंट लिए जा सकते है।
जो सीनियर सिटीजन टेक्सेवी नहीं हैं, उनके लिए और भी ऑप्शन दिए गए हैं
45 साल से ज्यादा की उम्र के लोग कोरोना की वैक्सीन लगवा सकते हैं।
1 अप्रैल 2021, से 45 से ज्यादा की उम्र का कोई भी व्यक्ति कोरोना की वैक्सीन लगवा सकता है। को-र्मोबिड कंडीशन के लिए किसी भी मेडिकल सर्टिफिकेट को एविडेंस के रूप में देने की कोई जरूरत नहीं है।
को–र्मोबिडिटी के साथ 45 साल से ज्यादा की उम्र के लोग:
1.को-विन, आरोग्य सेतु ऐप का इस्तेमाल करें या लॉग इन करें https://www.cowin.gov.in/
2. अपना मोबाइल नम्बर एंटर करें।
3. अपना अकाउंट बनाने के लिए आपको एक ओटीपी मिलेगा।
4. अपना नाम, उम्र, जेंडर फिल करें और फोटो आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट (आधार कार्ड, इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (ईपीआईसी), पासपोर्ट,ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर स्मार्ट कार्ड, पेंशन डॉक्यूमेंट फोटो के साथ) अपलोड करें।
5. को-र्मोबिडिटी के प्रूफ के लिए अपने डॉक्टर द्वारा साइन किया हुआ को-र्मोबिडिटी सर्टिफिकेट अपलोड करें।
6. डेट और कोविड वैक्सीनेशन सेंटर चुनें।
7.आपको आपके रजिस्टर्ड नम्बर पर एक एक्नॉलेजमेंट (रजिस्ट्रेशन स्ल्पि या टोकन) भेजा जाएगा- इसे डाउनलोड और प्रिंट करने की सुविधा भी दी गई है।
8. एक मोबाइल नम्बर पर कम से कम चार अपॉइंटमेंट लिए जा सकते है।
नोटः किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी समय पर हर डोज के लिए केवल एक लाइव अपॉइंटमेंट रखा जाएगा। अधिक जानकारी के लिए आप यूजर गाइड चैक कर सकते हैं, जिसे भारत सरकार ने सिटीजन रजिस्ट्रेशन और अपॉइंटमेंट के लिए बनाया है।
वह लोग जो 45 साल से अधिक उम्र के हैं और जिन्हें को-र्मोबिडिटी है 1 मार्च 2021 से गवर्नमेंट और प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर कोरोना की वैक्सीन लगवा चुके हैं.
एस0 न0 | क्राइटेरिया |
1 | पिछले एक साल से हार्ट फेलियर के कारण हॉस्पिटल में भर्ती |
2 | पोस्ट कार्डियक ट्रांसप्लांट/लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) |
3 | सिग्निफिसेंट लेफ्ट वेंट्रिकुलर सिस्टोलिक डायसफक्शन (एलवीईएफ 40) |
4 | मॉडरेट या सीरियस वाल्वुलर हार्ट डिजीज |
5 | कंजेनिटल हार्ट डिजिज विद सेवियर पीएएच या इडियोपैथिक पीएएच |
6 | कोरोनरी आर्टरी डिजीज विद पास्ट सीएबीजी/पीटीसीए/एमआई और हाइपरटेंशन/ डायबिटीज जिसका इलाज हो रहा हो। |
7 | एनजाइना और हाइपरटेंशन/डायबिटीज जिसका इलाज हो रहा हो। |
8 | सीटी/एमआरआई डाक्यूमेंटेड स्ट्रोक और हाइपरटेंशन/डायबिटीज जिसका ट्रीटमेंट हो रहा हो। |
9 | पल्मोनरी आर्टरी हाइपरटेंशन और हाईपरटेंशन/डायबिटीज जिसका ट्रीटमेंट हो रहा हो। |
10 | डायबिटीज ( दस साल से कम या विद कॉम्प्लिकेशन्स ) और हाइपरटेंशन जिसका ट्रीटमेंट हो रहा हो। |
11 | किडनी/लीवर/होम्योपैथिक स्टेम सेल ट्रांसप्लांट रेसिपईयेंट या ऑन वेट लिस्ट |
12 | एंड स्टेज किडनी डिजीज ऑन हेमोडायलिसिस/सीएपीडी |
13 | करंट प्रोनोलाग्ड जिसका इस्तेमाल ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स में होता है/इम्यूनोसप्रेसेंट मेडिकेशन |
14 | डीकंपनसेटेड सिरोसिस |
15 | सिवियर रेसप्रिटोरी डिजिज के कारण पिछले दो सालों में हॉस्पिटलाइजेशन/एफईवीआई 50 |
16 | लिम्फोमा, ल्यूकेमिया, मायलोमा |
17 | 1 जुलाई 2020 के बाद किसी सॉलिड केन्सर का डायॅनासिस या अभी किसी केंसर की थैरेपी |
18 | सिकल सेल डिजिज/ बोन मैरो फेलियर/ अप्लास्टिक एनीमिया/ थैलेसीमिया मेजर |
19 | प्राइमरी इम्यूनोंडेफिसिएन्सी डिजिज/एचआईवी इन्फेक्शन |
20 | 20 इंटलएक्चयूल डिसएबिलिटि के कारण डिसएबिलिटि से जूझ रहे लोग/ मस्कूलर डिस्ट्राफी, रेस्प्रिटॉरी सिस्टम के इंवॉल्वमेंट के साथ एसिड अटैक/जो लोग डिसएबिलिटि के शिकार है उन्हें हाई सपोर्ट की जरूरत है/ मल्टीपल डिसेबिलिटीस जैसे डेफ-ब्लाइंडनेस। |
अगर आप प्रेग्नेंट हैं और आपको 40Kg/m22 बीएमआई की परेशानी है तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
कोविड-19 वैक्सीनेशन पूरी तरह से इच्छित है यह लेना जरूरी नहीं हैं। वैक्सीनेशन कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने में काफी हद तक मदद करेगा। वैक्सीनेशन आपके और आपके चाहने वालों जैसे फैमिली, फ्रैन्डस, रिलेटिव्स, को-वर्कस और जिनके भी साथ आप फिजिकली कनेक्ट होते हैं उनकी हेल्थ के लिए बहुत ही जरूरी है।
इसके अलावा, एक कोरोना वायरस (कोविड-19) से रिकवर कर चुके रोगी को भी वैक्सीन लगवाने की उतनी ही जरूरत है। यह सभी लोगों के लिए जरूरी है कि वे वैक्सीन लगवाएं चाहे वे पहले ही क्यों न इस वायरस से ग्रस्त हो चुके हो, रिकवर कर चुके हो या उनकी कोई भी वायरस हिस्ट्री रही हो।
क्या किसी भी मेडिकल प्रोसीजर के समय कोविड-19 वैक्सीन मेरी बॉडी को इफेक्ट करेगा?
डीजीसीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने इमरजेंसी में इस्तेमाल करने के लिए दो वैक्सीन्स को मंजूरी दी है- कोविशील्ड, इसे सीरम इंस्टीटयूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा डेवलप किया गया है और कोवैक्सीन, इसे भारत बायोटेक द्वारा तैयार किया गया हैं। दोनों ही वैक्सीन्स को उनके लिए सुरक्षित माना गया है जिनकी मेडिकल प्रोसीजर की कोई हिस्ट्री रही हो या वो किसी मेडिकल प्रोसीजर से गुजर रहे हो। लेकिन उनके लिए नहीं जिन्हें किसी भी तरह के वैक्सीनेशन से रिएक्शन होने का खतरा हो।
ध्यान रहें कि अगर आप अपनी मेडिकल कंडीशन के बारे में किसी डॉक्टर से कंसल्ट करें तो अपनी मेडिकल हिस्ट्री जरूर शेयर करें, मेडिकेशन से होने वाली एलर्जी और मेडिकल प्रोसीजर जो आप करा चुके हैं या वैक्सीन लेने से पहले जिस मेडिकल प्रोसिजर से आप गुजर रहे हैं। एक्सपर्ट आपकी सुरक्षा के लिए आपको एडवाइज देते हैं कि कोविड लेने के बाद भी आप मास्क पहने और सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करें ।
नहीं, कोविड-19 की वैक्सीन लगने के बाद आपको हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है। कोविड-19 की वैक्सीन के पूरी तरह से सुरक्षित और असरदार साबित होने के बाद ही डीसीजीआई ( ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ) ने इसे मंजूरी दी है। हालांकि, कोविड-19 वैक्सीन के कुछ नॉर्मल साइड-इफेक्ट हो सकते हैं जैसे-
आपको इन नॉर्मल साइड इफेक्ट के लिए हॉस्पिटल में एडमिट होने की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसे साइड इफेक्ट जो बहुत ही गंभीर या सीरियस नजर आते हैं जैसे एलर्जी, कोई अनकॉमन इन्फेक्शन, सिरियस और कोई भी अनएक्सपेक्टिड साइड इफेक्ट, अगर आप ऐसे किसी भी लक्षणों को महसूस करें तो आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर को रिपोर्ट करने की जरूरत होगी ताकि आपका डॉक्टर इस पर जल्दी काम कर सके। इसके अलावा कोविड-19 वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है और ऐसे सीरियस साइड इफेक्ट बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। इसलिए वैक्सीन लगवाना पूरी तरह से सुरक्षित है ताकि आप अपने आपको इस वायरस से बचा सकें।
सीडीसी(सेन्टर फॉर डिजीज कन्ट्रोल एंड प्रीवेन्शन) की नई जानकारी में कहा गया है कि एक व्यक्ति जो पूरी तरह से वैक्सीनेटेड है उसे क्वारंटीन होने की जरूरत नहीं है अगर वह किसी कोविड-19 से इफैक्टिड व्यक्ति के संपर्क में नहीं आया है। वैक्सीनेशन का प्रोसेस पूरा होने के बाद कोविड की वजह से होने वाले हॉस्पिटलाइजेशन और बढ़तें मामलों में कमी आई है। वैक्सीनेशन के पूरे प्रोग्राम में एक गेप के बाद दो को-र्मोबिडिटी इंट्रामस्क्युलर इन्जेक्शन कम से कम 4 हफ्ते और ज्यादा से ज्यादा 12 हफ्ते में लगाए जाएंगे। वैक्सीनेशन का पूरा असर वैक्सीन के लास्ट डोज लगने के दो हफ्ते बाद नजर आएगा।
सीरियस डिजीज से बचाव के लिए यह वैक्सीन पूरी से असरदार मानी गई है। रिसर्च स्टडीज अभी तक इस परिणाम पर नहीं पहुंची है कि यह वैक्सीन्स किस तरह से इस वायरस के ट्रांसमिशन को रोकती है। क्योंकि यह वैक्सीनेशन अभी तक 100 % नहीं है, तो क्वारंटाइन की अवधि पूरी तरह से लोकल गाइडलाइन पर निर्भर करेगी।
इसके अलावा, एक्सपर्ट की यही सलाह रही है कि जो लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो चुके है वो भी सेफ्टी प्रोटोकॉल्स को फॉलो करें जैसे हाथ धोना, मॉस्क पहनना, और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना आदि।
फूड और कोरोना वायरस डिजीज 2019 (कोविड-19) पर सीडीसी (सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) की अपडेटेड गाइडलाइन्स में कहा गया है कि जब यह वैक्सीन वायरस की सीरियसनेस और हॉस्पिटलाइजेशन को रोकने में कामयाब हुए हैं। तो भी आपको सेल्फ केयर प्रोग्राम में प्रॉपर डाइट और सेफ्टी प्रैक्टिस को फॉलो करना चाहिए।
गुड न्यूट्रिशन के लिए डाइट्री एडवाइस में शामिल हैः
नोटः आपका शुगर लेवल अंडर कंट्रोल होना चाहिए क्योंकि यह ग्लूकोज लेवल को बढ़ाता है और डायॅबिटीज आपके इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर करती है। और आपके उपर इन्फेक्शन का खतरा बना रह सकता है।
कोविड-19 से वैक्सीनेटिड व्यक्ति को हर रोज कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए कोशिश करनी होगी। जब आप बाहर किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने जाएंगे तो कोरोना वायरस से ग्रसित होने का खतरा ज्यादा बना रहेगा। ऐसे बहुत से कारण हैं जो बाहर के खाने को फॉलो करने के चलते इस इन्फैक्शन के खतरे को बढ़ा सकते हैं जैसेः
इसलिए पूरी तरह वैक्सीनेटेड व्यक्ति को और कुछ महीने बाहर रेस्टोरेंट में खाने से बचना ही बेहतर होगा।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन्स भारत में न्यूरोलॉजी के रोगियों के लिए सुरक्षित मानी गई हैं। यह वैक्सीन किसी तरह के लाइव या अट्रेन्यूएटिड वायरस से नहीं बनाई गई है। ऐसा कोई भी एविडेंस नहीं मिला है जिसमें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से जूझ रहे रोगी को कोरोना वैक्सीन से किसी भी तरह का कोई रिएक्शन हुआ हो। इस तरह की वैक्सीन से पर्सनल प्रोटेक्शन की चिंता काफी कम हो जाती है।
न्यूरोलॉजी के रोगियों की कंडीशन के बेसिस पर उन्हें जरूरत के चलते पहले वैक्सीन दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए वे लोग जिनका रेस्प्रिटॉरी सिस्टम कमजोर होने के कारण न्यूरो-मस्कुलर डिजीज की समस्या हो। वह रोगी जिन्हें हाई रिस्क ऑफ मोर्टेलिटी हो, फ्रेल रोगी जो एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस मल्टीपल स्क्लेरोसिस या एडवांस पार्किन्सन डिजीज वाले रोगियों को वैक्सीन की प्रक्रिया में पहले रखा जाएगा। डिमेंशिया के रोगी आइडल रोगी भी हो सकते हैं अगर उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करने और मास्क पहनने में परेशानी है।
हालांकि, इम्यूनो स्प्रेसिव थेरेपी रिसीव करने वाले रोगियों के वैक्सीनेशन के समय और ट्रीटमेंट के मॉडिफिकेशन पर विचार करने की जरूरत है। वह रोगी जो बी सेल डिपलेशन थेरेपी रिसीव कर रहे है, वह वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को कम कर सकता है।
अगर आपके पास आपकी स्पेसिफिक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन को लेकर कोई सवाल है तो आप अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद आपको कुछ साधारण साइड इफैक्ट जैसे इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द होना, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, ठंड लगना, जोड़ो में दर्द और बुखार आम है। कोविड-19 वैक्सीन लगने के बाद शायद ही किसी व्यक्ति ने कोई गंभीर साइड इफैक्ट अनुभव किया होगा। ऐसे गंभीर साइड इफेक्ट में इमीडियेट एलर्जिक रिएक्शन जैसे हाइव्स, सूजन और वीजिंग हो सकते हैं।
एनाफिलेक्सिस (एक गंभीर प्रकार की एलर्जी प्रतिक्रिया) जो वैक्सीन लगने के बाद जल्दी ही नजर आ जाती है। वैक्सीनेशन के बाद जो लक्षण देखने को मिलते है वो हैं-
कोविड वैक्सीनेशन सेंटर्स पर अपोलो हॉस्पिटल के स्टाफ को किसी भी इमरजेंसी के लिए ट्रेंड किया गया है और किसी भी इमरजेंसी से डील करने के लिए जरूरी दवाइयां मौजूद हैं। कोरोना की वैक्सीन लगने के बाद स्टाफ यह इंश्योर करने के लिए कि आपको कोई सीरियस साइड इफेक्ट तो नहीं हुआ कम से कम 30 मिनट तक अपनी निगरानी में रखेगा।
अभी, इंडिया में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को मंजूरी दी गई है। दोनों वैक्सीन के बीच का समय कितना होगा यह वैक्सीन पर डिपेंड करेगा। ताजा गवर्नमेंट प्रोटोकॉल में ये कहा गया है कि वैक्सीन का दूसरा डोज पहले डोज के 28 दिन बाद दिया जाना जरूरी है। लेकिन, कोविशील्ड की न्यू रिसर्च में ये सामने आया है कि यह बूस्टर डोज तब ज्यादा इफेक्टिव होगा जब दोनों डोज के बीच का समय 6-12 हफ्ते के बीच का होगा।
एस्ट्रेजनेका वैक्सीन पर बेस्ड डीएनए को ज्यादा इफेक्टिव पाया गया, जब दोनों डोजेस के बीच का समय 12 हफ्ते का था। हालांकि, वैक्सीन के दोनों डोजेज के बीच का समय कितना होना चाहिए यह जानने के लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह कर सकते हैं।
यह ध्यान रखें, कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों को आपस में इंटरचेंज न किया जाए और न ही किसी और कोविड-19 वैक्सीन प्रोडक्ट के साथ। सीडीसी की गाइडलाइन्स में कहा गया है कि एक ही टाइप की कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज को लेने से वैक्सीन ज्यादा इफेक्टिव होगी।
आपको सबसे पहले को-एप, आरोग्य सेतु एप पर रजिस्टर करना होगा या इस पर लॉग इन करना होगा https://www.cowin.gov.in/ और वैक्सीनेशन सेंटर पर रजिस्ट्रेशन स्लिप या टोकन प्रोवाइड करना होगा। आपको अपने साथ कोई फोटो आइडेंटिफिकेशन प्रूफ जैसे आधार कार्ड या कुछ और लेकर जाना होगा। इसके बाद आपका टेम्परेचर नापा जाएगा। जैसा कि वैक्सीन को इंट्रामस्क्युलर एरिया से एडमिनिस्टर किया जाता है इसलिए आपकी आर्म का एक छोटा एरिया पहले स्टेरलाइज्ड हो जाएगा इसके बाद एक सिरिंज के जरिए आपके वैक्सीन लगाई जाएगी।
आपको वैक्सीन लगने के बाद एक वैक्सीनेशन कार्ड या प्रिंट आउट दिया जाएगा जिसमें आपको वैक्सीन लगने की डेट, सेंटर और आपको वैक्सीन का कौन सा डोज दिया गया है यह जानकारी दी गई होगी। इसके साथ ही आपको वैक्सीन के दूसरे डोज को लगाने की डेट भी दी जाएगी। इसके साथ ही आपको एक फेस शीट दी जाएगी जो आपको इस वायरस के रिस्क और कोविड-19 वैक्सीन के फायदे के बारे में बताएगा जो आपको दी गई है।
वैक्सीन लगने के बाद किसी भी तरह का साइड इफेक्ट न हो इसके लिए आपको कम से कम 30 मिनट तक मॉनिटर किया जाएगा। साइड-इफेक्ट किसी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं जो आपकी बॉडी रिजेक्ट कर सकती है या वैक्सीन अपना असर दिखाने में कुछ समय ले सकती है ।
आपके अपॉइंटमेंट के दौरान आपको इन प्रिकॉशंस को फॉलो करना जरूरी हैः
सभी हेन्ड हाइजिन रिकमेन्डेशन फॉलो करने के साथ हीः
वे लोग जो मेडिसिन लेते हैं और किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं जैसे कैंसर या दिल की कुछ बीमारियां, उनमें कोविड-19 से इफेक्ट होने की गुंजाइश ज्यादा है। जिससे जान जाने का खतरा भी हो सकता है। इसलिए, ऐसे लोगों के लिए कोविड-19 की वैक्सीन लेना ज्यादा जरूरी हो जाता है। हालांकि, वैक्सीन लगाने से पहले आपको अपने स्पेशलिस्ट डॉक्टर से सलाह करने की जरूरत है। कुछ मामलों में वैक्सीन लगने के बाद होने वाले साइड इफैक्ट बढ़ सकते हैं और ज्यादा परेशानी खड़ी कर सकते हैं। इसलिए, ऐसे गंभीर एलमेंट से जूझ रहे लोगों को कोविड शॉट लेने से पहले बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है।
हम सभी ने यह सुना है कि कोरोना का पहला शॉट लेने के बाद आप कुछ साइड इफेक्ट एक्सपीरियंस कर सकते हैं। हालांकि, इन साइड इफेक्ट की रेंज इनटोलरेबल होने से लेकर नॉन-एक्सीजटेंट होने तक हो सकती हैं। पहली डोज के साइड इफेक्ट सिरदर्द, चक्कर आना और शरीर की गंभीर थकान से अलग कुछ सीरियस हो सकते है। आपको इसके लिए शांत रहना होगा और इंतजार करना होगा। आप अपने डॉक्टर के साथ सलाह कर सकते है और उनसे उन दिनों में होने वाले चेंजेस के बारे में बात कर सकते हैं। अगर टाइम के साथ कंडीशन सुधर जाती है तो अपने डॉक्टर की सलाह पर आप दूसरे डोज का ऑप्शन चुन सकते हैं। आपके शरीर में जाने के बाद वैक्सीन एक दवा की तरह अपना असर दिखाती है। इसलिए आपको किसी भी तरह से घबराने की जरूरत नहीं है जब तक कि आपकी कंडीशन बहुत ज्यादा खराब या आपके कंट्रोल में न रहें। 40 से 50 परसेंट लोगों ने इस तरह के साइड इफेक्ट दूसरे डोज को लेने के बाद एक्सपीरियंस किए हैं ।
हां, आपको यह बताया गया है कि कोविड वैक्सीनेशन के शेडयूल को पूरी तरह से रिसीव करें। चाहें आप इससे पहले ही क्यों न कोविड-19 से रिकवर कर चुकें हो। यह आपको इस रोग से लड़ने और आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करेगा।
कोविड-19 इंफेक्शन आपकी बॉडी को नेचुरल और सिस्टमेटिक इम्यूनिटी करता है उसके अगेंस्ट प्रोटेक्टिव एंटीबॉडीज क्रिएट करके। कोविड वैक्सीन शॉट आपकी बॉडी में इस इन्फैक्शन को पहचानने और इससे लड़ने में मदद करता है। इसे दूसरे शब्दों में वैक्सीन ड्रिवन इम्यूनिटी कहा जाता है।ये दोनों ही मीडियम आपकी बॉडी को इम्यूनिटी देने का काम करते हैं ।हालांकि, लिमिटेड रिसर्च के साथ यह अभी भी पता नहीं चला है कि यह नेचुरल इम्यूनिटी लास्ट कब तक रहेगी। जैसा कि दुनिया भर में रीइन्फैक्शन के मामले सामने आए हैं कि कोविड-19 से एक से अधिक बार इफैक्ट होने के बाद आपकी बॉडी उतनी ही ज्यादा मजबूत हो जाती है। इसलिए कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद भी आप इस वायरस से दोबारा इफैक्ट हो सकते हैं ।
जब कोविड-19 वैक्सीन हॉस्पिटलाइजेशन से रोकने में इफेक्टिव है और वैक्सीनेशन प्रोग्राम को पूरा करने के बाद वायरस के इफेक्ट को कम करने में भी असरदार है। बच्चे अभी के लिए जो कोविड-19 वैक्सीन मौजूद है उसे लेने के पात्र नहीं है। बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन कितनी ज्यादा असरदार और सुरक्षित रहेगी यह अभी तक पता नहीं चला है। इसलिए वैक्सीन बनाने वाले मैन्यूफैक्चर्स ने वैक्सीन लगवाने की सबसे कम उम्र स्पेसिफाइड की हैः
इससे पहले डीजीसीए (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) ने 12 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों को वैक्सीन लगाने की मंजूरी दे दी थी। कोवैक्सीन के फेज 2 के क्लीनिकल ट्रायल में 12 साल से 65 की उम्र तक के 380 पार्टिसिपेंट्स को लिया गया था।
हां, कोविड-19 वैक्सीन लगने के बाद भी आप इस वायरस से ग्रस्त हो सकते हैं । क्योंकि यह 100 परसेंट इफेक्टिव नहीं है । कोविड-19 वैक्सीन इमिडिएट प्रोटेक्शन ऑफर नहीं करती है और न ही इस डिजीज से बचाती है।
यह वैक्सीन हॉस्पिटलाइजेशन और वायरस के इफेक्ट को फैलने से बचाने में मदद करती है। वैक्सीनेशन के प्रोग्राम को पूरा करने के बाद ही यह आपको फायदा पहुंचा सकती है। वैक्सीनेशन के पूरे प्रोग्राम में एक गैप के बाद दो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन कम से कम 4 हफ्ते और ज्यादा से ज्यादा 12 हफ्ते में लगाए जाएंगे।
कोविड-19 की फुल वैक्सीनेशन होने के बाद भी आप इस वायरस से ग्रस्त हो सकते हैं । हो सकता है कि आपको इस वायरस के लक्षण नजर ना आए और आप दूसरों को भी इस वायरस से ग्रसित कर दें। इसलिए, अगर आप पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हो तो भी आप कोविड-19 पॉजिटिव हो सकते हैं । इसलिए एक्सपर्ट यही सलाह देते हैं कि वैक्सीनेटेड व्यक्ति सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए सेफ्टी गाइडलाइन्स को फॉलो करे और दूसरों को इस वायरस से इफेक्ट होने से बचाएं।
कोविड-19 वैक्सीनेशन के बाद आप आमतौर पर होने वाले साइड इफेक्ट महसूस एक्सपीरियंस कर सकते हैं। जैसे दर्द, रेडनेस, गर्मी, हल्की सूजन या और जिस जगह कोविड-19 की वैक्सीन लगाई गई है उस जगह फर्मनेस। पर ऐसा कोई एविडेंस सामने नहीं आया है जिसमें ये कहा गया हो कि यह मसल्स को कमजोर बनाता है। आपका आर्म टेंडर और मूव करने में परेशानी हो सकती है पर यह किसी तरह से मसल्स को कमजोर नहीं बनाता है।
अगर आप इंजेक्शन वाली जगह पर ज्यादा दर्द महसूस कर रहे हैं तो आप पेनकिलर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह मेडिकेशन आपको बुखार, सिरदर्द, मसल्स और जॉइंट पेन को कम करने में मदद करेगी। पर यह ध्यान रखें कि कोविड-19 वैक्सीन लगाने से पहले किसी भी तरह के पेन किलर का इस्तेमाल न करें। यह आपके शरीर के नार्मल इम्यून रिस्पांस में बाधा डाल सकता है।
हां, कोविड-19 वैक्सीन उन लोगों को लगाई जा सकती है जो रेडियोथेरेपी के प्रोसस से गुजर रहे हैं या गुजर चुके हैं। कैंसर ट्रीटमेंट, विशेषकर कीमोथेरेपी में इम्यूनिटी कम हो जाती है। ऐसी सिचुएशन में उन्हें लाइव वैक्सीन से परेशानी हो सकती है। कोविड-19 वैक्सीन कोई लाइव वैक्सीन नहीं है। कैंसर की इम्यूनोथेरेपी के एक्सपर्ट ने कैंसर के रोगियों के लिए कोविड-19 वैक्सीन को रिकमेंड किया है।
यह वैक्सीन कैंसर के ट्रीटमेंट के पहले, बाद या ट्रीटमेंट के समय दी जा सकती है। वह रोगी जो कीमोथेरेपी के प्रोसेस के समय या और किसी इम्यूनोसप्रेसिव ड्रग्स के साथ कैंसर ट्रीटमेंट के समय पहले ही वैक्सीनेटेड हो चुके हैं और अपनी इम्यून कम्पेटेन्स को रिजेंड कर लिया है उन्हें री-वैक्सीनेशन की एडवाइस फिलहाल नहीं दी गई है।
हो सकता है कि कोविड-19 वैक्सीन लेने के बाद आपका डॉक्टर आपको ट्रीटमेंट शुरू करने की सलाह दे जैसे कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी पर ये आपके इम्यून सिस्टम को असर कर सकता है। यह वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को सुधार सकता है। पर कुछ सिचुऐशन्स में आप वैक्सीन लगने के बाद भी ट्रीटमेंट शुरू कर सकते हैं।
आप किसी भी जानकारी या सलाह के लिए अपोलो हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट या असिस्टेंट से बात कर सकते हैं। हमारी हेल्थ केयर टीम आपको बताएगी कि आपकी सिचुएशन के हिसाब से कौन सा ऑप्शन मौजूद है।
नहीं, ये सब अफवाहें है और गलत जानकारी है। अब तक, ऐसा एक भी सबूत सामने नहीं आया है जो यह दिखाता हो कि कोविड-19 वैक्सीन के कारण पुरूषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी (बांझपन)की परेशानी हुई हो। स्टडीज में यह पाया गया है कि जो महिलाएं कोविड-19 से इफेक्ट हुई हैं वह प्रेग्नेंट भी हुई है। यह साबित हो चुका है वह महिलाएं जो प्रेग्नेंट थी और जिन्होंने कोविड-19 वैक्सीन लगवाई थी उन्होंने सुरक्षित तरीके से अपने बच्चों को जन्म दिया। इसके अलावा अगर रियल वर्ल्ड फैक्टस की बात की जाए तो ऐसी एक भी जानकारी सामने नहीं आई और न ही ऐसा कोई सबूत सामने आया है जिसमें यह पाया गया हो कि कोविड-19 वैक्सीन से इंफर्टिलिटी की समस्या पैदा हुई हो।
जवाब है हां, लेकिन इसमें एक एक्स्सेपशन है। जब आप वैक्सीन का पहला डोज लेंगे तो और उसके बाद किसी कोविड-19 पॉजिटिव रोगी के सम्पर्क में आते हैं बिना किसी प्रोपर प्रोटेक्शन जैसे मास्क, हेन्ड हाइजिन और सोशल डिस्टेन्सिंग के तो आरटी-पीसीआर टेस्ट के बाद कोविड-19 पॉजिटिव होने के आपके चांस बढ़ जाते हैं । कोविड-19 वैक्सीन के दूसरे डोज को लेने के बाद भी ऐसा हो सकता है।
रिसर्चर्स ने यह बताया है कि हर किसी व्यक्ति का सेल रिएक्शन पीरियड अलग होता है। और इसके अलावा हर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम अलग होता है। यह वैक्सीन एक प्रोटेक्शन शील्ड की तरह है जो आपकी इम्यूनिटी को बनाने में एक दिन, एक हफ्ते या एक महीने का समय ले सकती है यह पूरी तरह से उस व्यक्ति के इम्यून सिस्टम पर डिपेंड होगा। ऐसे ही आपका शरीर भी कोविड-19 वैक्सीन लेने के बाद इस वायरस से बचने और एडजस्ट होने में समय ले सकता है।
इसलिए, यह कहा जा सकता है कि ऐसे चांस बहुत कम हैं कि वैक्सीन तुरंत ही अपना असर दिखाना शुरू कर दे। इसलिए यह जरूरी है कि आप कोविड-19 से बचने के लिए बताए गए सभी जरूरी नियमों को फॉलो करें।
यह सच नहीं है। कोविड-19 वैक्सीनेशन को दुनिया भर में शुरू किया जा चुका है। हालांकि, अभी भी कुछ लोग कोविड शॉटस को लेने से इसलिए बच रहे है क्योंकि उन्हें डर है कि यह वैक्सीन उनके डीएनए को हमेशा के लिए बदल देगा। आपको इन बातों को पूरी तरह से वेरीफाई करने के बाद ही उन पर विश्वास करना चाहिए।
हां, वैज्ञानिकों ने इस बात के लिए चेताया भी है कि जो लोग वैक्सीनेट हो चुके हैं उन्हें वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करना जरूरी है। क्योंकि यह वैक्सीन अपना पूरा इफेक्ट दिखाने में कुछ समय या दिन ले सकती है। इसके अलावा, कोविड़-19 वैक्सीन का पूरा कोर्स करने के बाद ये इस वायरस से होने वाले सीरियस इफैक्ट को कम करने में भी मदद करेगा। लेकिन यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वैक्सीन लगने के बाद भी क्या ये आपको इस वायरस से दोबारा इफेक्ट होने या दूसरों को इस वायरस से ग्रसित करने से रोक सकता है।
इसलिए जरूरी है कि दूसरा डोज लेने के बाद भी आप सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें ।
हां, आपको काफी लम्बे समय तक मास्क पहने रखने की जरूरत है। वैक्सीनेटिड होने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि हम अपनी नार्मल लाइफ में तुरंत वापस आ जाएंगे। जब तक हम हर्ड इम्यूनिटी की एक डिग्री हासिल नहीं करते हैं । ये वैक्सीनेशन कोविड-19 से प्रोटेक्शन के लिए बस एक और लेयर का काम करेगा। और हर्ड इम्यूनिटी तक पहुँचने के लिए कम से कम 50 से 80 परसेंट जनसंख्या को वैक्सिनेट करना जरूरी है। वैक्सीन का दूसरा डोज लगने के बाद कम से कम दो सप्ताह तक आप इसके इफेक्ट को महसूस नहीं कर पाएंगे। लेकिन शायद आपकी इम्यूनिटी इसके बाद बढ़नी शुरू हो जाएगी। हालांकि, यह एक ऐसा एरिया है जो अभी रिसर्च से गुजर रहा है। अगर आप पहला डोज लगने के बाद इम्यून सिस्टम को मजबूत कर भी लेते हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि आप इससे तुरंत ही बच जाते हैं । इसके अलावा मास्क पहनने का एक और कारण कोम्प्रोमाइज्ड इम्यून सिस्टम (क्रोनिक मेडिकल कंडीशन जैसे हर्ट डिजीज और केंसर’) और वह लोग जो वैक्सिनेटेड नहीं है (वे लोग जिन्हें वैक्सीन के पहले डोज के बाद एलर्जिक रिएक्शन देखने को मिला,हाई रिस्क प्रेग्नेंट वुमन) को प्रोटेक्ट करना है ।
हां, वह व्यक्ति जिसने कोविड-19 वैक्सीन ले ली है वह भी इस वायरस के इंफेक्शन को फैला सकता है या पैदा कर सकता है। वैक्सीनेशन की मदद से आपको कोविड से सुरक्षित होने में काफी हद तक मदद मिलेगी। जो कभी -कभी ज्यादा घातक भी हो सकता है। इसके बाद भी आप कोविड-19 डिजीज से इफेक्ट हो सकते हैं और इसे फैला भी सकते हैं । एक स्टडी में यह पाया गया है, कि वह लोग जो कोविड-19 वायरस से इफेक्ट हो चुके हैं पर उनमें किसी भी तरह के लक्षण नहीं देखे गए ऐसे लोगों के कारण इस वायरस को फैलने में 24 परसेंट तक मदद मिली है। कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद इम्यूनिटी सिस्टम को इमर्ज होने में कम से कम 12 दिनों तक समय लगेगा। वैक्सीनेशन आपको सीरियस इलनेस से प्रोटेक्ट करने में मदद करेगी। वे लोग जो वेक्सीनेट हो चुके हैं उनकी सेफ्टी को ध्यान में रखते हुए मास्क, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिग को फॉलो करना जरूरी है।
हां, अगर किसी खास कारण से मनाही न हो, तो Guillain Barre (गिलियन बैरे) सिंड्रोम के रोगी वैक्सीन लगवा सकते हैं। ज्यादातर कोविड वैक्सीन Sars-CoV-2 प्रोटीन का इस्तेमाल कर बनाई जाती हैं, इससे Guillain Barre (गिलियन बैरे) सिंड्रोम बढ़ता हो, ऐसा अब-तक नहीं पाया गया है।
Guillain Barre (गिलियन बैरे) एक सीरियस बॉर्डर-लाइन डिसऑर्डर है जिसका नतीजा अक्यूट पैरालिसिस और कभी-कभी परमानेंट पैरालिसिस होता है। इसके अलावा Guillian Barre (गिलियन बैरे) सिंड्रोम के एक तिहाई रोगियों में रेस्पिरेटरी फेलियर भी देखा गया है जिसके चलते उन्हें आइसीयू में या वेंटिलेटर पर भी रखना पड़ता है।
कोविड वैक्सीन से, बाकी कॉम्प्लिकेशन्स की तरह ही Guillain Barre (गिलियन बैरे) सिंड्रोम का खतरा भी बहुत कम है। वहीं अगर कोविड 19 से बचाव की बात हो तो वैक्सीन के आंकड़े कई ज्यादा बेहतर हैं।
ये समझना जरूरी है कि किसी भी वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। अभी तक ऐसा कोई केस सामने नहीं आया है जिसमें वैक्सीन के इस्तेमाल से किसी इंसान में Guillain Barre (गिलियन बैरे) सिंड्रोम बढ़ गया हो।
हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कैंसर रोगियों को कोविड-19 वैक्सीन लेने में कोई हर्ज नहीं है। लंग कैंसर रोगी भी कोविड वैक्सीनेशन ले सकते हैं लेकिन उन्हें डॉक्टर से, कीमोथेरेपी के हिसाब से उनके इम्यून स्टेटस के बारे में बात जरूर करनी चाहिए।
हालांकि, ये रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर रोगी को किसी तरह के सीरियस रिएक्शन की संभावना है या एलर्जी की शिकायत है तो वैक्सीनेशन से पहले उसे डॉक्टर से बात करनी चाहिए।
हालांकि, वैक्सीनेशन के प्रकार और कैंसर की जटिलता को समझते हुए रोगियों को पहले फिजिशियन से बात करके इन कॉम्प्लिकेशन्स से बचने के तरीके जानने चाहिए। वैक्सीनेशन से पहले ये जानना जरूरी है कि कैंसर रोगी उस दौरान कैंसर उपचार से गुजर रहा है या नहीं। साथ ही, ये भी जानना जरूरी है कि रोगी की इम्यूनिटी कैसी है।
अगर आप या आपका चाहने वाला लंग कैंसर रोगी है, तो वैक्सीनेशन के लिए पंजीकरण कराने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें, जिससे आपको यह पता चल सके कि रोगी का शरीर वैक्सीन में इस्तेमाल हुए सॉल्ट और केमिकल सुरक्षित तौर पर स्वीकार कर सकता है या नहीं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि हृदय रोगियों के लिए कोविड वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। एक्सपर्ट कहते हैं कि जिन रोगियों को सीने में दर्द की शिकायत रहती है उन्हें हर हाल में कोविड वैक्सीन लेनी चाहिए जिससे वो कोविड-19 के खतरे से बच सकें।
हाल में स्वीकृत वैक्सीनेशन में किसी भी तरह की सीरियस समस्या सामने नहीं आई है, इसलिए इसे सुरक्षित समझा जा सकता है। तमाम हेल्थकेयर एक्सपर्ट कहते हैं कि वैक्सीनेशन न केवल सुरक्षित है बल्कि, सीने में दर्द के चलते हृदय रोग के खतरे वाले रोगियों के लिए बेहद जरूरी भी है।
कोविड-19 वैक्सीन s प्रोटीन से बनाई गई है, जो आपकी इम्यूनिटी को वायरस से लड़ने लायक बना देता है। अमेरिकन हार्ट फेलियर सोसाइटी कोविड-19 वैक्सीन का पूरी तरह समर्थन करती है साथ ही यह भी कहती है कि वैक्सीन हृदय रोगियों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावशाली है।
कोविड सांस की बीमारी है जो कोविड-19 से ग्रस्त रोगी के सीधे संपर्क में आने या उसकी छुई सतह को छूने से होती है। इसकी गंभीरता अक्सर लोगों में कम या मध्यम स्तर तक ही ज्यादा पाई गई है। महामारी की वैक्सीन तैयार हो चुकी है, और अब पूरी दुनिया की महिलाएं वैक्सीनेशन करवा रही हैं। जो लोग वैक्सीन करवा चुके हैं उन पर हुए सर्वे के हिसाब से, माहवारी पर इसका कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला है। वैक्सीनेशन की वजह से माहवारी में देरी या मिस्ड पीरियड की समस्या अभी तक सामने नहीं आई है।
ये एक भ्रम है कि वैक्सीनेशन से महिलाओं में बांझपन की शिकायत हो सकती है, जिससे महिलाएं वैक्सीनेशन से बच रही हैं। लेकिन तमाम चिकित्सकों और टेस्ट की मानें तो ये बात अब तक साबित नहीं हुई है।
सबसे पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें कि अभी आपको कोविड-19 वैक्सीन की जरूरत है या नहीं। फिलहाल ये वैक्सीन हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स और हाई रिस्क रोगियों को दी जा रही है, आने वाले समय में इसे सार्वजनिक किया जाएगा।
वैक्सीन कैसे काम करती है और इससे आपको क्या लाभ हैं, इस बारे में और भी जानें। कोविड-19 के खिलाफ जंग में वैक्सीन एक सुरक्षा कवच है। वैक्सीनेशन के दो फायदे हैं, एक तो ये आपको कोविड-19 के संक्रमण से बचाती है, दूसरा ये इस वैश्विक महामारी को फैलने से रोकती भी है।
हां, पर कुछ बातें हैं जिनका आपको कोविड वैक्सीन लगवाने से पहले ध्यान रखने की जरूरत है।
क्या करें–
1.जल्दी भोजन करें और वैक्सीनेशन से पहले भरपूर आराम करें- अपनी वैक्सीनेशन की तारीख से पहले वाली रात भरपूर नींद लें। इससे आपकी इम्यूनिटी पूरी तरह से काम करने में सक्षम होगी। अगर आपका अपॉइंटमेंट भोजन के समय का है तो भोजन समय से पहले कर लें और भरपूर पानी पिएं।
2. वैक्सीनेशन से पहले हाइड्रेटेड रहें।
3. ढीले कपड़े पहनें। वैक्सीनेशन कांधे पर मौजूद बड़ी मसल यानि डेल्टॉएड मसल पर लगाई जाती है, ढीले कपड़े पहनने से वैक्सिनेटर आसानी से आपकी बांह पर वैक्सीन लगा सकेगा। संभव हो तो छोटी बांह की टीशर्ट पहनें।
क्या न करें–
1. शराब पीने से बचें- हालांकि इस पर कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं, फिर भी बेहतर होगा कि आप वैक्सीनेशन से पहले वाली रात को शराब पीने से बचें।
2. पेन-किलर से बचें- अगर किसी मेडिकल कंडीशन के चलते आप रोजाना पेनकिलर नहीं खाते हैं तो वैक्सीनेशन के दौरान पेन-किलर लेने से बचें। साइड-इफेक्ट के डर से वैक्सीनेशन से पहले पेन-किलर खाने से लोगों को बचना चाहिए।
रिपोर्ट के हिसाब से, कोविड वैक्सीन के लिए चयनित हॉस्पिटल्स में से किसी एक में आपको वैक्सीन लगवाने के लिए पहले से टाइम स्लॉट दिया जाता है। कोविड वैक्सीन किसी अन्य वैक्सीन से अलग नहीं है, इसलिए आपको वैक्सीन लगवाने से पहले सभी एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि हम अभी भी इस महामारी से लड़ रहे हैं और दूसरी डोज लेने तक हम पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।
वैक्सीनेशन से पहले इन बातों का ध्यान रखें :
1. हाथ धोना बहुत जरूरी है। बार-बार सैनिटाइजर या साबुन से हाथ धोते रहें।
2. मुंह और नाक को मास्क से ढक कर रखें।
3. वैक्सीन लगने तक अपने और दूसरों के बीच 6 फीट की दूरी रखें।
4. रेस्पिरेटरी हाइजीन और कफ एटिकेट्स का ध्यान रखें।
वैक्सीन इंट्रा-मस्कुलर रूट से दी जाती है। आपकी बांह का एक छोटा हिस्सा पहले सॉल्यूशन से स्टरलाइज किया जाएगा, इसके बाद एक सिरिंज से वैक्सीन की डोज लगा दी जाएगी।
वैक्सीन लग जाने पर लोगों को एक रसीद मिलेगी। यह ज्यादातर एसएमएस से भेजी जाती है या इलेक्ट्रॉनिक रसीद होती है। उन्हें वैक्सीन की अगली डोज की तारीख भी दी जाएगी।
आपको वैक्सीन लगने के बाद 30 मिनट तक वहीं रखा जाएगा, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि आपको वैक्सीन से किसी तरह का रिएक्शन न हो।
जब तक आपको वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लग जाती आपको कोविड-19 से पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता। दूसरी डोज आम-तौर पर 28 दिन के बाद दी जाती है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको अपने वैक्सिनेटर से बात करनी होगी।
वैक्सीन लगने के बाद आपको कुछ साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। कोविड-19 वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट्स नीचे दिए गए हैं :
– इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द।
– इंजेक्शन लगने वाली बांह पर सूजन।
– ठंड लगना
– बुखार
– सिर दर्द
– थकान
अगर आप बांह पर सूजन या दर्द महसूस करते हैं तो, उस स्थान पर गीले ठंडे तौलिए से सिकाई करें। हल्के कपड़े पहनें और भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें। अगर आपको दर्द है और आप असहज हैं तो दवा खाने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
अगर आपको कोई साइड इफेक्ट है तो वो एक-दो दिन में ठीक हो जाएंगे। लेकिन अगर आपके वैक्सीन लगने की जगह पर 24 घंटे बाद लाल निशान बढ़ता जा रहा है और कुछ दिन बाद भी साइड इफेक्ट नहीं जा रहे हैं तो अपने डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
साइड इफेक्ट के बाद भी आपको कोविड 19 वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी चाहिए। जब तक कि डॉक्टर या वैक्सीन प्रोवाइडर आपको इसके लिए मना न करे।
आप यह जरूर समझें कि वैक्सीन की दोनों डोज लगने के बाद भी कोविड के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने में कुछ दिनों का समय लगता है। CDC के अनुसार दूसरी वैक्सीन लगने के बाद भी अगले एक या दो सप्ताह कोविड के प्रति पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।
सावधानी जरूर बरतें
वैक्सीनेशन के बाद भी सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग, कफ एटिकेट्स, रेसपिरेटरी एटिकेट्स और कोविड 19 संक्रमण को रोकने के लिए अन्य सावधानियों का पालन करना बहुत जरूरी है। वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी नहीं है। अभी भी यह पता नहीं लगाया जा सका है कि जिस व्यक्ति को वैक्सीन लग चुकी है क्या वह संक्रमण फैला सकता है। इसलिए सभी सावधानियों का पालन करना जरूरी है जब तक कि स्वास्थ्य विभाग कोई अन्य दिशा-निर्देश जारी नहीं करता।
कोविड-19 वैक्सीन के कुछ साइड-इफेक्ट देखने को जरूर मिले हैं जैसे, सुस्ती, ठंड लगना और कमजोरी। लेकिन ये समस्या कुछ ही दिन में खत्म हो जाती है। हालांकि, अगर साइड इफेक्ट ज्यादा दिन तक बने रहते हैं या सीरियस हो जाते हैं तो आपका केस AEFI (एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन) को रिपोर्ट किया जाएगा।
अगर आपको कोविड-19 वैक्सीन लगाने के बाद किसी सीरियस समस्या या साइडइफेक्ट का सामना करना पड़ता है तो :
1. स्वास्थ्य कर्मचारी पहले आपके लक्षणों के उपचार करना शुरू करेंगे।
2. इसके बाद आपकी विस्तृत जांच की जाएगी जिससे लक्षण के कारण का पता लगाया जा सके। साथ ही ये जाना जाएगा कि समुदाय, आपके क्षेत्र या देश में ऐसे लक्षण कितने सामान्य हैं, और कहीं इन लक्षणों का संबंध वैक्सीन के ट्रांसपोर्ट, रखरखाव या प्रबंधन से तो नहीं है।
वैक्सीन के गलत असर रिपोर्ट किए जाने पर आधिकारिक कंपनियों को जांच करनी होती है। अगर कोई गलत असर दिखाई देता है तो स्वास्थ्य अधिकारी वैक्सीन के इस्तेमाल पर रोक लगा सकते हैं। फिलहाल, इन जांचों की जिम्मेदारी (WHO) वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की है और ये संस्थान दुनिया भर में कोविड वैक्सीन के विपरीत प्रभावों पर भी नजर बनाए हुए है।
कोविड वैक्सीन से अब तक किसी तरह की सीरियस समस्या नहीं पाई गई है।
अगर वैक्सीन में मौजूद किसी भी सामग्री से रोगी को एलर्जी नहीं है और इस तरह के वैक्सीनेशन के बाद अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है, तो इम्यूनो–सप्रेसेंट ड्रग का सेवन करने वाले रोगी वैक्सीनेशन करवा सकते हैं।
जबकि, हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो रोगी इम्यूनो-सप्रेसेंट ड्रग लेने जा रहे हैं उन्हें वैक्सीन के लिए प्राथमिकता मिलनी चाहिए, वो भी दवा के कम से कम दो सप्ताह पहले। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान रोगियों की इम्यूनिटी बेहतर काम कर रही होती है, जिससे वैक्सीन का असर भी ज्यादा हो सकता है।
रोगी चाहें इम्यूनो-सप्रेसेंट थेरेपी, कीमोथेरेपी, बायोलॉजिकल थेरेपी, प्रोटीन किनेज़ (Kinase) इनहिबिटर्स या ओरल मेडिकेशन लेने वाले हों, वो कोविड-19 वैक्सीन की प्राथमिकता सूची में शामिल होने चाहिए। भले ही रोगी वैक्सीन लगवा चुके हों, लेकिन उनको ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि उन्हें कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखनी है।
यह भी ध्यान रखें कि जो रोगी इम्यूनो-सप्रेसेंट थेरेपी से होकर गुजर रहे हैं और पहले कोविड-19 वैक्सीन लगवा चुके हैं, उन्हें दोबारा वैक्सीन लगवाने की जरूरत नहीं है।
हालांकि, इम्यूनो-सप्रेसेंट के रोगियों को वैक्सीन लगवाने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।
हां! प्लाज्मा थेरेपी प्राप्त कर चुके रोगियों को वैक्सीन से कोई समस्या नहीं है। बस एक बात ध्यान में रखने की जरूरत है कि प्लाज्मा थेरेपी और वैक्सीन लगवाने की बीच कम से कम 90 दिनों का अंतर हो। हम सबको पता है कि कोरोना वायरस कितना खतरनाक है और ये किस तरह आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है।
कोविड-19 के उपचार में इस्तेमाल होने वाली मोनोक्लोनल और कोनवेलेसेंट प्लाज्मा से बनने वाली एंटीबॉडीज जो के आधार पर ऐसा पाया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी प्राप्त कर चुके मरीजों के लिए कोविड वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है।
प्रमाण बताते हैं कि कोविड के उपचार के बाद लोगों को दोबारा कोविड-19 होने की संभावना कोविड के पिछले संक्रमण से 90 दिन तक नहीं होती। इसलिए ये जरूरी है कि सावधानी के लिए प्लाज्मा थेरेपी और वैक्सीन के बीच कम से कम 90 दिनों का अंतर रखा जाए।
हां, वैक्सीनेशन सभी के लिए जरूरी है, उनके लिए भी जिनकी SARS-CoV-2 यानी सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 और कोविड-19 की हिस्ट्री हो, भले ही वो सिम्पटोमैटिक या एसिम्पटोमैटिक हो। वैक्सीनेशन कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ मजबूत इम्यूनिटी तैयार करती है।
हालांकि, कोविड-19 संक्रमण से ग्रसित रोगी वैक्सीनेशन वाले स्थान पर अन्य लोगों में रोग फैला सकता है। इसलिए, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के हिसाब से, कोविड-19 के लक्षण आने के करीब दो हफ्ते यानी 14 दिन बाद ही रोगी को वैक्सीन लगवानी चाहिए। WHO के हिसाब से क्वारेंटाइन गाइडलाइन में कोविड-19 के लक्षण दिखने और वैक्सीन लगवाने के बीच करीब चार सप्ताह यानी 28 दिनों का अंतर होना चाहिए।
विश्व भर के तमाम मेडिकल एक्सपर्ट्स की ये सलाह सभी तरह की कोविड वैक्सीन पर लागू होती है।
कोविड-19 से बचने के लिए जैसे-जैसे दुनिया भर में कोविड वैक्सीन बनाई जाने लगी है, इस बात पर भी अध्ययन चल रहे हैं कि क्या वैक्सीन, कोविड फैलाने वाले SARS-CoV-2 वायरस को फैलने से रोक सकती है। वैक्सीन जो संक्रमण को रोक सकती हैं, उनके जरिए महामारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है अगर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वैक्सीन पहुंचाई जाए।
प्रारंभिक अध्ययन बताते हैं कि कोविड-19 वैक्सीन संक्रमण को फैलने से बचाने में सक्षम है। कुछ अध्ययन ये भी बताते हैं कि वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों पर वायरल लोड कम होता है जिससे संक्रमण फैलने का खतरा भी कम रहता है।
कई क्लिनिकल ट्रायल या परीक्षण बताते हैं कि वैक्सीन कोविड के संक्रमण को फैलने से बचाने में सक्षम है। लेकिन अभी ये कहना जल्दबाजी होगी कि वैक्सीन संक्रमण रोकने में पूरी तरह असरदार है- भले ही वो सिम्पटोमैटिक हो या असिम्प्टोमटिक। कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि वैक्सीन लोगों को कोविड-19 होने से बचाती है साथ ही धीरे-धीरे संक्रमण रोकने का काम भी करती है।
रिसर्चर्स जिन्होंने कोविड वैक्सीन का निर्माण किया है, उन्होंने अभी तक ब्रेन कैंसर के मरीज पर इसके प्रभाव की जांच नहीं की है। वैक्सीन सभी कैंसर से ठीक हो चुके लोगों और कैंसर रोगियों के लिए भी जरूरी है जो फिलहाल थेरेपी करवा रहे हैं। इसलिए कोविड वैक्सीन सभी कैंसर रोगियों को देनी चाहिए, जब भी वो वैक्सीन लगवाने के काबिल हों।
अगर कैंसर का उपचार आपकी इम्यूनिटी को प्रभावित करता है तो आप अपने चिकित्सक से इस बारे में बात करें। वो आपके उपचार को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन लगवाने का सबसे उपयुक्त समय बताएंगे, जब वैक्सीन का प्रभाव आपपर सबसे बेहतर होगा।
एक्सपर्ट सभी तरह के कैंसर सर्वाइवर्स और कैंसर रोगियों को कोविड वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। इनमें ब्रेस्ट कैंसर के रोगी भी शामिल हैं और वो सभी कैंसर रोगी भी जो एक्टिव थेरेपी करवा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे मरीजों को कोविड-19 हो जाने पर उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
ब्रेस्ट कैंसर उपचार आम-तौर पर आपकी इम्यूनिटी को कमजोर कर देता है और आप संक्रमण के लिए असुरक्षित हो जाते हैं। इस स्थिति में आप SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमण से गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स के खतरे में आ सकते हैं।
हालांकि, अगर आप ब्रेस्ट कैंसर की कोई भी थेरेपी ले रही हैं तो आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना जरूरी है। रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी करवा रहे रोगियों को अपने चिकित्सक से जरूर बात करनी चाहिए जहां उन्हें उनके इम्यूनाइजेशन का समय पता चल सके।
हां, ह्रदय रोग और स्ट्रोक एक्सपर्ट हृदय रोगियों को वैक्सीनेशन करवाने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी उम्र के वयस्क जो हाइपरटेंशन या हार्ट अटैक जैसे मेडिकल कंडीशन से गुजरे हों, उन्हें SARS-CoV-2 से ज्यादा खतरा है, जिससे उन्हें कोविड-19 बीमारी हो सकती है। अगर आपकी उम्र ज्यादा है और आप लंबे समय से हृदय रोग से ग्रस्त हैं तो कोविड-19 बीमारी आपको खतरे में डाल सकती है।
कोविड-19 वैक्सीन का बहुत लोगों पर परीक्षण किया जा चुका है, ये अब तक सुरक्षित और प्रभावशाली पाई गई है। क्लीनिकल ट्रायल्स में, कोविड-19 वैक्सीन खास मेडिकल कंडीशन वाले स्वस्थ लोगों पर बेहतर काम करती नजर आई है।
कोविड-19 का सबसे ज्यादा देखा जाने वाले साइड-इफेक्ट हैं वैक्सीन लगने वाली जगह पर दर्द और सूजन, फ्लू के लक्षण जिनमें बुखार, नाक बहना, और कफ शामिल है। आम-तौर पर ये लक्षण कुछ दिन बने रहते हैं। ह्रदय रोगी के तौर पर आपके लक्षण किसी अन्य सामान्य व्यक्ति के लक्षणों से अलग नहीं होंगे।
हालांकि, अगर आप अपनी स्थिति और वैक्सीनेशन के बारे में कुछ जानना चाहते हैं तो अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
भारत में अभी दो वैक्सीन मौजूद हैं- कोवैक्सीन और कोविशील्ड। लोगों को वैक्सीन लगवाने के बाद बुखार, जी मिचलाना, हल्का दर्द या सूजन की समस्या हो सकती है।
सभी को वैक्सीन लगवानी चाहिए। हालांकि, जिन लोगों को मलेरिया हो गया है उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए पूरी तरह ठीक होने का इंतजार करना चाहिए। मलेरिया से पूरी तरह ठीक होने के बाद उन्हें पहले ये जानना जरूरी होगा कि वैक्सीन से उन पर किसी तरह का विपरीत असर न पड़े।
और तो और, अगर आप मलेरिया की दवा जैसे हाइड्रोक्लोरोक्वीन या क्लोरोक्वीन का सेवन कर रहे हैं तो आपको कोविड-19 वैक्सीन से पहले इस बात की जानकारी अपने चिकित्सक को देनी होगी। साथ ही कोविड-19 वैक्सीन लगवाने से पहले अपनी मेडिकल हिस्ट्री, एलर्जी और अब तक खा चुके सभी ड्रग्स की जानकारी भी चिकित्सक से साझा करना न भूलें।
बिना किसी रेस्पिरेटरी समस्या सामने आए, रोग की शुरुआत से उपचार के दौरान, पाचन तंत्र में भी कोविड-19 के अलग तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं।
पेट में तेज दर्द भी कोविड 19 का एक लक्षण हो सकता है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कोविड-19 वायरस गॉल ब्लैडर में भी पाए गए हैं, बिना किसी गाल ब्लैडर की समस्या के। इसके सेल्स में भी ACE2 receptors होते हैं। पैंक्रियाज की तरह गॉल-ब्लैडर को नुकसान पहुंचने का असर पाचन तंत्र पर दिखाई देता है। ACE2 receptors के माध्यम से कोविड 19 हमारे शरीर में मौजूद सेल्स को हाईजैक कर लेता है।
cholecystitis को ट्रिगर करने वाले किसी अनजान माध्यम से भी कोविड 19 वायरस संक्रमण कई मामलों में सामने आया है। इसलिए मेडिकल लक्षणों वाले मरीजों को इस वायरस से खतरा अधिक है, न कि वैक्सीन लगवाने पर। इसलिए, गॉल-ब्लैडर में स्टोन वाले रोगियों को कोविड वैक्सीन लगवाना सुरक्षित है।
कोविड-19 वैक्सीन की कार्य क्षमता इम्यूनिटी पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है। पहले की वैज्ञानिक रिसर्च बताती हैं कि ओबेसिटी का शरीर की इम्यूनिटी पर बुरा असर पड़ता है। हालांकि, US का FDA का डाटा वैक्सीन के फायदे दिखाता है, खास-तौर पर ओबेसिटी के रोगियों पर।
अधिक वजन और ओबेसिटी वाले लोगों को दो बातों का ध्यान रखना होगा : व्यायाम और भोजन की आदतों में सुधार। पिछले अध्ययन बताते हैं कि वैक्सीन से पहले नियमित व्यायाम का इम्यूनिटी पर बेहतर असर पड़ता है। इससे बैक्टीरिया और वायरस के संपर्क में आने पर एंटी बॉडीज चार गुना तेजी से बनना शुरू हो जाती हैं। इसका मतलब है जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाने से पहले व्यायाम किया था उनमें एंटी बॉडीज की मात्रा उनसे कहीं ज्यादा होती है जिन्होंने व्यायाम नहीं किया था।
साथ ही आपके गट बैक्टीरिया का प्रकार और मात्रा भी वैक्सीन के असर को तय करता है। इसलिए ओबेसिटी वाले लोगों को कोविड-19 वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए।
एलर्जी के उदाहरण अभी तक बहुत कम हैं। कोविड-19 वैक्सीन लेने से पहले स्किन ऐलर्जी के कारणों को जानना जरूरी है। अगर रोगी को ऐलर्जी की शिकायत रहती है तो जरूरी है कि आप अपने चिकित्सक से परामर्श लें कि कोविड वैक्सीन में इस्तेमाल हुई सामग्री से आपकी स्किन को किसी तरह का खतरा न हो। वैक्सीन में इस्तेमाल हुई सामग्री की पूरी जानकारी ऑनलाइन मौजूद है या इसके बारे में आपको चिकित्सक से भी जानकारी मिल सकती है। खुजली, रैश, सूजन और अन्य स्किन ऐलर्जी की हिस्ट्री वाले लोगों को इम्यूनोलॉजी परामर्श की सलाह दी जाती है। स्किन ऐलर्जी के रोगी चिकित्सक की रजामंदी के बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। स्किन ऐलर्जी की हिस्ट्री वाले लोग या हल्की ऐलर्जी के रोगी फिलहाल वैक्सीन लगवा सकते हैं, जैसा की चिकित्सकों की सलाह है, ऐसा न करने पर उन्हें साइड-इफेक्ट से ज्यादा कोविड का खतरा बना रहेगा। स्किन ऐलर्जी के रोगियों को वैक्सीन लगवाने के बाद करीब 30 मिनट तक निगरानी में रहने की सलाह दी जाती है, जिससे स्किन पर वैक्सीन के विपरीत प्रभाव का पता लगाया जा सके।
अगर कोविड वैक्सीन लेने के बाद आपको रैशेज की शिकायत होती है तो अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें।
हैपेटाइटिस बी के रोगी इम्यूनोसप्प्रेस्ड नहीं होते हैं इसलिए उन पर कोविड वैक्सीन का प्रभाव उसी तरह पड़ेगा जैसा हैपेटाइटिस बी न होने वाले लोगों पर पड़ता है। कोविड वैक्सीन का हैपेटाइटिस बी के रोगियों पर बुरा असर अभी तक देखने को नहीं मिला है न ही इसका कोई मजबूत कारण समने आया है। हैपेटाइटिस बी के एक्टिव और इनएक्टिव संक्रमण के रोगी चिकित्सक की सलाह के बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। इन रोगियों को वैक्सीन न लगवाने का कोई वैज्ञानिक कारण अभी तक सामने नहीं आया है। अध्ययन बताते हैं कि हैपेटाइटिस बी पर संक्रमण का असर बहुत कम पड़ता है। अध्ययन ये भी बताते हैं कि कोविड-19 वैक्सीन का संबंध लिवर इंजरी से है। इसलिए हैपेटाइटिस बी और लिवर इंजरी के रोगियों को वैक्सीन लगवाने से पहले चिकित्सक से सलाह लेना बेहद जरूरी है, क्योंकि उनको खतरा है। हैपेटाइटिस बी के रोगियों को हाई प्रायोरिटी वैक्सीनेशन की सूचि में नहीं रखा गया है क्योंकि उनको लंग्स इंफेक्शन के रोगियों की तुलना में कम खतरा है। हालांकि, हैपेटाइटिस बी के रोगियों को वैक्सीनेशन से पहले चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।
अध्ययन बताते हैं कि पैनक्रियाटिक ट्रांसप्लांट रोगियों पर कोविड-19 वैक्सीन के फायदों का पलड़ा किसी भी संभावित खतरे पर भारी है।
पैंक्रियाटिक ट्रांसप्लांट के रोगी ज्यादा खतरे में होते हैं क्योंकि वैक्सीन लगवाने के बाद इन रोगियों को इम्यूनो-सप्रेशन और को-मॉर्बिडिटीज यानी दो से ज्यादा बीमारियां एक साथ होने का खतरा हो सकता है। इसलिए अपने फिजिशियन से वैक्सीनेशन और अपने इम्यूनो सस्पेंशन के स्तर के बारे में परामर्श करने के बाद ही वैक्सीन लगवाएं।
अध्ययन बताते हैं कि लिवर ट्रांसप्लांट रोगियों के लिए भी कोविड-19 वैक्सीन फायदेमंद है।
कोविड-19 वैक्सीन लिवर ट्रांसप्लांट के रोगियों पर कम प्रभावी हो सकती है क्योंकि उनमें सामान्य लोगों की तुलना में कम एंटीबॉडी बन पाएंगे। किसी भी ट्रांसप्लांट मरीज का वैक्सीनेशन करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह लेना बेहद जरूरी है। इसलिए वैक्सीन लगवाने से पहले अपने इम्यूनो-सप्प्रेशन के स्तर के बारे में जानने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
सर्जरी करवा रहे, करवाने वाले या करवा चुके सभी रोगियों को वैक्सीनेशन और सर्जरी के टाइमिंग को ध्यान में रखते हुए अपने चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।
जो लोग किसी भी तरह का ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाते हैं, उन्हें संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इन लोगों की इम्यूनिटी कम होती है और उनमें एंटीबॉडी भी कम पाई जाती हैं। किसी भी तरह के संक्रमण जिसमें कोविड-19 भी शामिल है, से बचने के लिए उन्हें अपने वातावरण का खास ध्यान रखना होता है।
रोगी की इम्यूनिटी के स्तर को ध्यान में रखते हुए कोविड वैक्सीनेशन उनके लिए सुरक्षित होता है, फिर भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवाने वाले लोगों को वैक्सीनेशन से पहले अपने चिकित्सक परामर्श करना जरूरी होता है। क्योंकि दो कोविड वैक्सीन – कोविशील्ड और कोवैक्सीन, को अभी भारत में आपातकाल में इस्तेमाल करने की अनुमति मिली है। कोवैक्सीन पूरे इनएक्टिव वायरस पर केंद्रित है वहीं कोविशील्ड कोल्ड वायरस के कमजोर वर्जन पर।
क्योंकि ऑर्गन ट्रांसप्लांट करवा चुके लोग इम्यूनो-सर्प्रेस्ड होते हैं इसलिए उन्हें इनएक्टिवेटेड वायरस आधारित वैक्सीन लेने की जरूरत है, जो कोवैक्सीन है। कोविशील्ड इंजेक्शन ऐसे रोगियों में कोरोना वायरस संक्रमण की संभावनाओं को बढ़ा सकता है जिससे खतरनाक नतीजे सामने आ सकते हैं।
हां, क्नी (घुटना) ट्रांसप्लांट कराने वाले रोगियों को कोविड-19 वैक्सीन लगवानी चाहिए। रोगी की इम्यूनिटी के स्तर को ध्यान में रखते हुए, कोविड वैक्सीन सामान्य तौर पर सुरक्षित होती है। फिर भी क्नी (घुटना) ट्रांसप्लांट करवा चुके रोगियों को अपने ट्रांसप्लांट के समय को ध्यान में रखते हुए चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।
हां, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले रोगियों को कोविड-19 वैक्सीन लगवानी चाहिए। रोगी की इम्यूनिटी के स्तर को ध्यान में रखते हुए, कोविड वैक्सीन सामान्य तौर पर सुरक्षित होती है। फिर भी किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके रोगियों को अपने ट्रांसप्लांट के समय को ध्यान में रखते हुए चिकित्सक से परामर्श लेना जरूरी है।
कैंसर के उपचार जैसे कीमोथेरेपी रोगियों की इम्यूनिटी को प्रभावित करते हैं, इससे वैक्सीन के कम असरदार होने की संभावना रहती है। कैंसर के एक्सपर्ट अब कैंसर रोगियों या कैंसर की हिस्ट्री वाले लोगों को कोविड वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। फिर भी वैक्सीनेशन के टाइमिंग को देखते हुए आपको सलाह दी जाती है कि आप वैक्सीन लगवाने से पहले अपने कैंसर चिकित्सक से एक बार परामर्श जरूर करें।
कुछ कैंसर उपचार जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी कैंसर रोगियों की इम्यूनिटी को प्रभावित करती हैं, जिससे, वैक्सीन कम प्रभावित हो सकती है।
कमजोर इम्यूनिटी होने के कारण कैंसर रोगी आसानी से संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए ऑनकोलॉजिस्ट कैंसर रोगियों और कैंसर की हिस्ट्री वाले लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। फिर भी वैक्सीनेशन के टाइमिंग के लिए आपको कैंसर चिकित्सक से बात करने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज, भले ही नियंत्रण में क्यों न हो, आपकी इम्यूनिटी को संक्रमण से लड़ने के लिए कमजोर बनाती है। इसलिए बिना डायबिटीज वाले लोगों की तुलना में डायबिटीज रोगियों को संक्रमण के शिकार होने और गंभीर मेडिकल कंडीशन्स का खतरा ज्यादा है।
वैक्सीनेशन आपको इस खतरे से बचाने के लिए सबसे मजबूत विकल्प है। इसलिए टाइप-2 डायबिटीज वाले लोग, जिनको कोविड संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, उन्हें कोविड-19 वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। हालांकि, आपको अपना ग्लूकोज स्तर नियंत्रण में रखने की जरूरत है जिससे किसी भी तरह के इंफेक्शन की संभावना से बचा जा सके।
डायबिटीज जैसी स्थिति के रोगियों पर वैक्सीन के असरदार, सहन होने वाले और बेहतर इम्यून रिस्पॉन्स जैसे प्रभाव देखने को मिले हैं। वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम हैं जो जल्द ही अपने आप खत्म भी हो जाते हैं। सीरियस साइड इफेक्ट बहुत कम देखने को मिले।
लिवर कैंसर खास तौर पर सीरियस लिवर डिजीज की वजह से होता है जैसे हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी। ऐसे रोगी कोविड के सीरियस संक्रमण की चपेट में जल्द आ सकते हैं।
कमजोर इम्यूनिटी होने के कारण कैंसर रोगी आसानी से संक्रमित हो सकते हैं, इसलिए ऑनकोलॉजिस्ट कैंसर रोगियों और कैंसर की हिस्ट्री वाले लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगवाने की सलाह देते हैं। फिर भी वैक्सीनेशन के टाइमिंग को देखते हुए आपको सलाह दी जाती है कि आप वैक्सीन लगवाने से पहले अपने कैंसर चिकित्सक से एक बार परामर्श जरूर करें।
वैक्सीन लगवा चुके लोगों को वैक्सीन लगवाने की तारीख से 45 दिनों तक शराब न पीने की सलाह दी जाती है। शराब को वैक्सीन के इम्मयून पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। शराब पीने से इंपेयर्ड लिवर फंक्शन और कम इम्यूनिटी के नतीजे सामने आ सकते हैं।
शराब पीने के बाद वैक्सीन के प्रभाव पर खराब असर पड़ता है। कभी कभी शराब पीने पर ऐसा नहीं हो सकता लेकिन ज्यादा मात्रा में शराब पीने से ज्यादा नुक्सान हो सकता है।
इसलिए वैक्सीन करवाने वाले लोगों के लिए वैक्सीन लगवाने से एक दिन पहले और वैक्सीन लगवाने वाले दिन से 45 दिनों तक शराब से दूरी जरूरी है। क्योंकि शराब का सेवन इम्यूनिटी पर विपरीत असर डालता है।
नहीं, SARS-CoV-19 वायरस के तमाम वेरिएंट और स्ट्रेन कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट नहीं हैं। सभी मौजूद वैक्सीन नोवल करोना वायरस के उपचार के लिए स्वीकृत हैं। कोई भी वैक्सीन SARS-CoV वायरस के म्यूटेशन का कारण नहीं है। “strain” शब्द की तमाम गलत परिभाषाएं इन दिनों चलन में हैं।
“strain” पेरेंट वायरस से अलग तरह से निकला हुआ वेरिएंट है जिसमें पेरेंट वायरस जैसे लक्षण होते हैं। इस समय कोविड-19 स्ट्रेन किसी तरह के वेरिएंट को नहीं बना रहा है। वायरस म्यूटेट करके मल्टीपल वेरिएंट बना देता है, लेकिन इसका वैक्सीन से कोई संबंध नहीं है। वायरस जब बड़ी तादाद में फैलता है तो वो म्यूटेट करके अपना रेप्लिका तैयार कर लेता है जो और भी मजबूत स्ट्रेन को हर साइकिल में जन्म देता है।
इस बारे में हमे अभी तक कुछ पता नहीं है। अभी तक की जानकारी के हिसाब से कोविड-19 वैक्सीन का प्रभाव कई महीनों या उससे ज्यादा तक रहता है। वहीं संक्रमण से लड़ने के लिए इम्यूनिटी वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने से दो सप्ताह के भीतर बन जाती है। दूसरी डोज आपके इम्मयून रिस्पॉन्स को बढ़ाकर नई एंटी बॉडीज का निर्माण करती है और आपको सुरक्षा प्रदान करती है।
हालांकि, ये रेंज अलग अलग व्यक्तियों पर अलग रहती है, क्योंकि वैक्सीन का असर तमाम बाहरी और भीतरी कारणों पर निर्भर करता है जैसे इम्यूनिटी, अंदरूनी बीमारियां, एलर्जी आदि।
लैक्टेशन वाले व्यक्ति को हाई रिस्क मेडिकल कंडीशन में नहीं माना जाता क्योंकि कोविड-19 वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा का कोई डाटा अभी तक मौजूद नहीं है। वैक्सीन लगवाने से पहले अपने चिकित्सक से इस बारे में परामर्श जरूर लें।
अभी तक कोविड वैक्सीन लगवाने की तारीख के आस-पास व्यायाम करने या न करने के कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश मौजूद नहीं हैं। वहीं कुछ अध्ययन बताते हैं कि वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में किया गया व्यायाम इम्यूनिटी पर बेहतर असर डालता है। लेकिन ये पूरी तरह से इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका शरीर किसी भी स्वीकृत वैक्सीन को लगवाने पर कैसी प्रतिक्रिया या साइड इफेक्ट दिखाता है।
कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद आपका शरीर किस तरह प्रतिक्रिया देगा ये बात पूरी तरह व्यक्तिगत है। कुछ लोगों को कोई भी लक्षण नहीं आते वहीं अन्य लोगों पर साइड-इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं। वैक्सीनेशन के बाद हल्का बुखार आ सकता है लेकिन अगर बुखार बना रहता है तो अपने चिकित्सक से संपर्क करें या तुरंत हॉस्पिटल जाएं। आप अपने कॉमन सेंस का इस्तेमाल कर वैक्सीनेशन के दौरान और उसके बाद के अपने अनुभव को समझें।
इसलिए, एक्सपर्ट आपको वैक्सीन की दोनों डोज लगने की तारीख के दो दिन बाद खुद को सामान्य महसूस करने पर अपना व्यायाम शुरू करने की सलाह देते हैं। फिर भी वैक्सीनेशन के बाद आप व्यायाम शुरू करने से पहले अपनी मेडिकल कंडीशन को चिकित्सक से समझ लें। साथ ही वर्कआउट करने के दौरान, खास तौर पर पब्लिक प्लेस पर, सुरक्षा के सभी नियमों का पालन जरूर करें।
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